सहारनपुर : मदरसों के सर्वे के फैसले के बाद से मुस्लिम समाज के लोग मिली जुली प्रतिक्रिया दे रहे है। एक तरफ बरेली में मुस्लिम गुरु मदरसों के सर्वे को शक की नजर से देख रहे है तो वही सहारनपुर के दारुल उलूम ने मदरसों पर अपना बयान दिया है। दारुल उलूम ने कहा कि देश की आजादी में मदरसों का सराहनीय भूमिका रही है। मदरसे देश के संविधान से चलते है। मदरसों के अंदर कोई गैरकानूनी काम नहीं होता है , इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे से बिलकुल डरने और घबराने की जरूरत नहीं है- बल्कि सर्वे में सहयोग करते हुए सही और पूर्ण जानकारी दी जाये।
सहारनपुर के महमूद हाल में मीडिया से बात करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने स्पष्ट किया है कि उन्हें योगी सरकार के मदरसों के सर्वे से कोई आपत्ति नहीं है । उन्होंने मदरसा संचालकों से कहा है कि वह सभी सर्वे में सहयोग करें , क्योंकि मदरसों के अंदर कुछ भी ढका छुपा नहीं है सबके लिए मदरसों के दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं। जमीयत उलमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी और दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने सम्मेलन में संबोधित करते हुए मदरसों के इतिहास पर प्रकाश डाला और मदरसा संचालकों को शिक्षा अधिनियम और देश के संविधान के अंतर्गत दी गई धार्मिक आजादी के अनुसार शिक्षण कार्य करने पर बल देते हुए सर्वे में सहयोग करने और अपने मदरसों के बारे में पूर्ण और सही जानकारी देने की बात कही है।
उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों ने देश की आजादी और निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई है। मदरसा संचालकों से अपने दस्तावेज और जमीन के रखरखाव को ठीक रखने रखना चाहिए। वही हिंद राब्ता ए मदारिस इस्लामिया के नाजिम मौलाना मुफ्ती शौकत बस्तवी ने सम्मेलन का घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि मदरसे कभी भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं पाए गए हैं। इसलिए मीडिया को मदरसों को लेकर सकारात्मक रवैया रखना चाहिए।
