बहेड़ी।
इंद्रपाल सिंह ने बताया कि यह अभियान 01 जुलाई से 31 जुलाई 2025 तक प्रत्येक गांव में चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि खेतों में चूहों की संख्या कम करने के लिए उनके बिलों को चिन्हित कर विषाक्त दाना जैसे 40-50 ग्राम भुने चने या गेहूं में 10 ग्राम जिंक फास्फाइड और कुछ बूंदें सरसों के तेल की मिलाकर डाला जाए। इसके अलावा एल्युमिनियम फास्फाइड की 4-5 ग्राम मात्रा भी बिलों में डालकर मुहाने को बंद कर देना चाहिए।
सहायक विकास अधिकारी (कृषि रक्षा) राणा प्रताप ने किसानों को बताया कि प्रकृति में पाई जाने वाली बिल्लियां, सांप, उल्लू, लोमड़ी, बाज और चमगादड़ जैसे जीव चूहों को भोजन के रूप में खाते हैं, जिससे प्राकृतिक नियंत्रण भी होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि खेतों, झाड़ियों और मेडों की सफाई तथा समय-समय पर निरीक्षण से इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही चूहेदानी जैसे घरेलू उपायों को अपनाने की भी सलाह दी।
गोष्ठी में ग्राम पतरासी व आसपास के कई किसान जैसे नन्हे लाल, खेमकरण, बाबूराम, तुलाराम, छेदा लाल, नेत्रपाल और करन सिंह गंगवार आदि शामिल हुए। कार्यक्रम के अंत में इकाई प्रभारी इंद्रपाल सिंह ने सभी किसानों का आभार व्यक्त किया और गोष्ठी संपन्न हुई।
