बदायूं (उत्तर प्रदेश)।
यह कहानी है रमेश की — जो अपने छोटे से घर में उम्मीदों और खुशियों का सपना लेकर दुल्हन लाया था। 22 अप्रैल को हुई थी उसकी शादी, पर किसे पता था कि यह सात फेरों का बंधन चंद दिनों में ही मौत का कारण बन जाएगा।
रमेश की मां ने रोते हुए बताया कि बहू घर आने के बाद घंटों फोन पर बात करती थी। जब रमेश ने टोकने की कोशिश की, तो कहती कि वह मायके बात कर रही है। धीरे-धीरे शक गहराने लगा। लेकिन रमेश चुप रहा — शायद रिश्ते की लाज में।
फिर आया 10 जून — वह मनहूस दिन, जब दुल्हन ने ससुराल वालों को खाने में नशा देकर बेहोश कर दिया। और फिर घर की नकदी और जेवर समेटकर प्रेमी के साथ फरार हो गई। सुबह जब सबकी आंख खुली, तो घर सूना था — और दिल भारी।
इस हादसे के बाद रमेश पूरी तरह टूट गया। पुलिस में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऊपर से ससुराल वालों से धमकियाँ मिलने लगीं। यह मानसिक दबाव और पत्नी का वियोग उसे अंदर ही अंदर खा गया। उसने खाना-पीना छोड़ दिया, रातों को जागते-जागते उसकी आंखों से नींद रूठ गई। शरीर कमजोर हुआ, मन बिखरता गया — और आखिर में, रमेश तड़पते हुए दुनिया को अलविदा कह गया।
परिजनों ने रोते हुए बताया कि यदि पुलिस समय रहते कार्रवाई करती, तो शायद रमेश आज जिंदा होता। रमेश दो भाइयों में छोटा था और उसके पिता पहले ही इस दुनिया को छोड़ चुके हैं। अब मां की आंखों में केवल आंसू हैं और दिल में एक ही सवाल — “मेरे बेटे को न्याय कब मिलेगा।
