दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भूचाल आ गया है। आजाद के प्रदेश के समर्थकों की शनिवार को दिल्ली में बैठक प्रस्तावित है। अगले महीने सितंबर में उनके जम्मू-कश्मीर आने की संभावना है। आजाद नई पार्टी के गठन की घोषणा कर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो सबसे अधिक प्रभाव कश्मीर आधारित पार्टियों पर पड़ने के आसार हैं।मुस्लिम वोट बैंक वाली नेकां, पीडीपी, अपनी पार्टी का वोट बैंक खिसक सकता है। इसका पूरे प्रदेश में भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस को तो स्वाभाविक रूप से नुकसान झेलना पड़ेगा।
आजाद समर्थक पूर्व विधायक जुगल किशोर शर्मा ने बताया कि दिल्ली में शनिवार को अनौपचारिक बैठक प्रस्तावित है।ज्ञात हो कि आजाद समर्थक पूर्व मंत्री व डोडा की इंद्रवाल सीट से विधायक रहे जीएम सरूरी समेत छह पूर्व विधायक दिल्ली में कैंप कर रहे हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजाद यदि नई पार्टी बनाते हैं तो मुस्लिम मतों का विभाजन होगा। इसका असर न केवल प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा, बल्कि लोकसभा चुनाव में भी असर दिखेगा।
इसके लिए कई नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं। कुछ और शनिवार सुबह तक पहुंच जाएंगे। इसके बाद आजाद के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। जम्मू-कश्मीर आने पर जगह-जगह सभाएं व बैठकें आयोजित कर पार्टी के स्वरूप पर रायशुमारी की जाएगी,,जम्मू संभाग की 30 से 31 सीटों पर भाजपा का प्रभाव हो सकता है। इसके बाद उसे मुस्लिम वोटों के बंटने का फायदा मिल सकता है। हिंदू बाहुल्य मतदाता वाली सीटों पर जीत का अंतर बड़ा हो सकता है। उनका मानना है कि डोडा, रामबन, किश्तवाड़, पुंछ, राजोरी और घाटी की कुछ सीटों पर आजाद का असर दिख सकता है।
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