हरिद्वार। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) में हरिद्वार जिले में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। योजना के तहत ग्रामीणों को रोजगार देने के नाम पर बिना किसी कार्य के ही फर्जी तरीके से मजदूरों को काम पर दिखाकर भुगतान किया गया।
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा पांडेय के निर्देश पर एक आंतरिक जांच करवाई गई।जांच में यह सामने आया कि जिले के सभी विकास खंडों की कई ग्राम पंचायतों में फर्जी हाजिरी लगाकर मजदूरों को वेतन दिया गया, जबकि वास्तव में कोई भी कार्य नहीं हुआ था।
सबसे अधिक गड़बड़ियाँ रुड़की और लक्सर ब्लॉक में पाई गईं, जहां लंबे समय से बिना काम के मजदूरी का भुगतान किया जा रहा था।
सीडीओ आकांक्षा पांडेय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 14 ग्राम विकास अधिकारियों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि (Adverse Entry) की कार्रवाई की है। इसके साथ ही कई मेट्स (साइट सुपरवाइज़र्स) को उनके पद से हटा दिया गया है। संबंधित ग्राम प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है।
सूत्रों के मुताबिक, यह घोटाला लंबे समय से चल रहा था और इसकी भनक उच्च अधिकारियों को अब जाकर लगी है। कार्रवाई के बाद संबंधित विभागों में हड़कंप मच गया है, वहीं सीडीओ ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
सीडीओ आकांक्षा पांडेय का बयान:
“जांच में जो गड़बड़ियाँ सामने आई हैं, वे बेहद गंभीर हैं। मनरेगा जैसी योजना का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है और आगे भी की जाएगी।”
