बरेली। प्रदेश सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों को बंद कर उन्हें नजदीकी स्कूलों में मर्ज करने की नीति के खिलाफ शिक्षकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सोमवार को यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के बैनर तले शिक्षकों ने इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट अलंकार अग्निहोत्री को सौंपा।
प्रदर्शन का नेतृत्व यूटा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि शासन के निर्देशों के अनुसार, जिन विद्यालयों में छात्र संख्या 50 से कम है, उन्हें आसपास के स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा। इससे जनपद बरेली के लगभग 617 विद्यालय बंद हो जाएंगे, जिससे ग्रामीण इलाकों के गरीब बच्चों की शिक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
यूटा जिला उपाध्यक्ष सत्येंद्र पाल सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 21ए और आरटीई एक्ट के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। स्कूल बंद होने से बच्चों को दो से चार किलोमीटर दूर पढ़ने जाना होगा, जो अधिकांश ग्रामीण परिवारों के लिए संभव नहीं है।
जिला महामंत्री हरीश बाबू ने आशंका जताई कि मर्जर के चलते केवल बच्चों को ही नहीं, बल्कि शिक्षकों को भी नुकसान होगा। कई स्कूल बंद होने के साथ ही शिक्षकों के पद भी समाप्त हो सकते हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी।
यूटा पदाधिकारी रमेश मौर्य ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने स्कूल मर्जिंग नीति पर पुनर्विचार नहीं किया, तो संगठन न्यायालय की शरण लेगा।
प्रदर्शन के दौरान संगठन के अन्य पदाधिकारी अरविंद गुर्जर, वीरेंद्र सिंह वीरू, रवि कुमार, राजेश कुमार सिंह, अभिषेक सिंह, विनोद कुमार, पुष्पेंद्र गंगवार, अंकित राज, जसवीर सिंह, सत्यवीर पाल, देवराज भारती, सुरेंद्र पाल सिंह, पंकज सिंह, दिनेश मौर्य, लखमीचंद, अरुण कुमार आदि भी मौजूद रहे।
