भीम मनोहर, बरेली
पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी और सादगी जग जाहिर है, जिन्होंने राजनीति के उच्च पदों पर रहने के बावजूद अपने लिए एक अदद घर तक नहीं बनाया। कुछ इसी तरह की सादगी, समर्पण और सिद्धांतों की मिसाल हैं वामसेफ के पूर्व मंडल अध्यक्ष जगदीश प्रसाद उर्फ बाबूजी।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बेहद करीबी रहने के बावजूद उन्होंने कभी बेईमानी की राजनीति नहीं की। टेलीफोन विभाग से मिलने वाले वेतन से अपना और परिवार का गुजारा किया। हमेशा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा बुद्ध के विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया।
मूलरूप से अंबेडकर नगर के रहने वाले जगदीश प्रसाद बाबूजी बीएसएनएल में सेक्शन सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत्त हैं। वर्तमान में उनका आवास बरेली शहर में सौफुटा रोड से सटी रजत बिहार कॉलोनी में है। उनके एक बेटा-बेटी हैं। बेटा विश्व भास्कर राव सांख्यिकी विभाग में अधिकारी और बेटी शशि पूनम राव बरेली में राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता हैं। पत्नी का कुछ समय पहले स्वर्गवास हो चुका है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम की विचारधारा से प्रेरित होकर जगदीश बाबूजी कार्यकर्ता के रूप में बसपा में शुरूआत से जुड़ गए थे। मगर उन्हें अहम जिम्मेदारी वर्ष 2004 में मिली, जब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने उन्हें वामसेफ का बरेली मंडल अध्यक्ष बनाया। उस वक्त वह बीएसएनएल में सेक्शन सुपरवाइजर थे। उन्होंने विभाग और संगठन दोनों जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाया।
जगदीश बाबूजी के वामसेफ का बरेली मंडल अध्यक्ष रहने के दौरान उत्तर प्रदेश में कई बार बसपा की सरकार रही। बसपा सरकार में जगदीश बाबूजी एक बड़ा नाम था। बसपा सरकार के बड़े-बड़े मंत्रियों और अधिकारियों के साथ उनकी बैठक होती थी। वह किसी भी मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो से सीधे बात कर लेते थे। मगर जगदीश बाबूजी ने कभी अपनी ताकत का अहसास नहीं कराया, और न ही उसका दुरुपयोग। स्कूटर पर चलना और आम लोगों की तरह रहना उनकी आदत में है।
बरेली की रजत बिहार कॉलोनी के जिस मकान में जगदीश बाबू रहते हैं वो दूसरे नेताओं की चमक-दमक से कहीं दूर है। घर में बड़ी सी एलईडी लगी होने के बजाय पुराना बड़ा सा टीवी है। मेहमानों के बैठने के लिए आलीशान सोफा की जगह कुर्सियां पड़ी हैं। घर के सामने लग्जरी कार खड़ी होने के बजाय नीले रंग का स्कूटर है। रविवार को तेज बारिश हुई तो पानी घर के अंदर तक घुस गया। मधुर वाणी और सौम्य व्यवहार के चलते बसपा ही नहीं, सभी दलों के नेता बाबूजी का सम्मान करते हैं। उनकी जीवनशैली, आदर्शों के प्रति निष्ठा और समाजसेवा की भावना दूसरे नेताओं के लिए प्रेरणाश्रोत है।
बुद्ध के रास्ते पर चलने की प्रेरणा
सेवानिवृत्ति के बाद बाबू जी ने अपना पूरा समय धम्म प्रचार और सामाजिक जागरूकता में समर्पित कर दिया है। वह महात्मा बुद्ध के बताए मार्ग—करुणा, अहिंसा और ज्ञान को समाज तक पहुंचाने में लगे हैं। वर्तमान में वह राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के बड़े पदाधिकारी हैं, और देशभर में बौद्ध विचारधारा और सामाजिक न्याय के लिए अभियान चला रहे हैं।
