बरेली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि निर्वाचन आयोग द्वारा चलाया जा रहा एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) कार्यक्रम पूरी तरह प्रशासनिक और संवैधानिक प्रक्रिया है, इसे हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखना ठीक नहीं है।
मौलाना रजवी ने कहा कि चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करने के उद्देश्य से एसआईआर अभियान शुरू किया है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में सही नाम दर्ज हों, स्थान परिवर्तन कर चुके लोगों, मृत मतदाताओं और दोहरी प्रविष्टियों को हटाया जा सके। इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में बीएलओ और सरकारी कर्मचारी लगाए गए हैं। यह किसी समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने की पहल है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव इस अभियान को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं और यह कहा जा रहा है कि मुसलमानों के वोट काटे जा रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत इससे अलग है। परिपक्व राजनीतिक नेतृत्व को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर जिम्मेदारी से बात करनी चाहिए।
मौलाना रजवी ने कहा कि इस बार मुस्लिम समाज ने एसआईआर को लेकर गंभीरता दिखाई है। देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले मजदूरों से लेकर खाड़ी देशों में कार्यरत लोगों तक ने अपने परिवारों से संपर्क कर समय पर फॉर्म भरवाए, बीएलओ से समन्वय किया और दस्तावेज सुरक्षित रखे। उन्होंने इसे नागरिक जिम्मेदारी का सकारात्मक उदाहरण बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि बीते वर्षों में सीएए और एनआरसी को लेकर फैली आशंकाओं के कारण मुस्लिम समाज अधिक सतर्क रहा, जिसके चलते एसआईआर में उनकी भागीदारी सक्रिय रही। मौलाना ने अपील की कि एसआईआर जैसे संवैधानिक कार्यों को राजनीति और साम्प्रदायिकता से दूर रखा जाना चाहिए।




