रिटायर्ड प्रवक्ता की मृत्यु के 16 साल बाद तक निकलती रही पेंशन, कोषागार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू

SHARE:

बरेली, एनवीआई रिपोर्टर

बरेली कोषागार में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। रिटायर्ड प्रवक्ता की मृत्यु के 16 साल बाद तक पेंशन की धनराशि निकाली जाती रही। इस मामले में बैंक और कोषागार के अधिकारी-कर्मचारियों की संलिप्तता की जांच के आदेश दिए गए हैं। कोषागार निदेशक ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जांचकर आख्या देने को कहा है। इससे आरोपी अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई तय मानी जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार रिटायर्ड प्रवक्ता सोहन लाल शर्मा की 19 सितंबर 2008 को मृत्यु हो गई थी। उन्हें 49 हजार रुपये प्रति माह पेंशन मिलती थी। सोहन लाल की मृत्यु के बाद उनका बेटा उमेश भारद्वाज बैंक कर्मचारियों और कोषागार के एक वरिष्ठ सहायक से साठगांठ कर 16 साल तक पेंशन की रकम बैंक से निकालता रहा। यह फर्जीवाड़ा तब पकड़ा गया, जब उमेश दो सितंबर 2024 को मुख्य कोषाधिकारी के कार्यालय में अपने पिता सोहनलाल के नाम का जीवन प्रमाणपत्र जमा करने पहुंचा।

कार्यालय में मौजूद बाबू ने प्रमाणपत्र पर जन्मतिथि देखी तो शक हुआ। पेंशनधारक सोहनलाल शर्मा की उम्र 105 साल होनी चाहिए थी, लेकिन सामने खड़ा उमेश बमुश्किल 60 का लग रहा था। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई। तब पता चला कि सोहन लाल शर्मा की मृत्यु के बावजूद उनकी पेंशन लगातार जारी हो रही है। उनके बेटे उमेश ने फर्जी अभिलेख तैयार कर बैंक से साठगांठ कर 31 जुलाई 2024 तक करीब 6089064 रुपये पेंशन के रूप में निकाले। जांच के बाद आरोपी से मय ब्याज की 74,66,149 रुपये की रकम वसूल कर ली गई।

अब कोषागार निदेशक विजय कुमार सिंह ने इस फर्जीवाड़े में शामिल कोषागार के अधिकारियों और बैंक के कर्मचारियों की संलिप्तता को उजागर करने और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मुरादाबाद के अपर निदेशक कोषागार एवं पेंशन भृगु नारायण झा को जांच अधिकारी बनाया है। अपर निदेशक कोषागार को निर्देश दिए हैं कि इस फर्जी आहरण के प्रकरण में कोषागार के कर्मचारियों, अधिकारियों की भूमिका का परीक्षण कर बैंक एवं पेंशनर आश्रित एवं कोषागार कर्मचारियों-अधिकारियों के विरुद्ध उत्तरदायित्व निर्धारित कर तत्काल रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। निदेशक कोषागार के जांच के आदेश के बाद संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है।

जालसाजी कर सरकारी धन हड़पने के इस प्रकरण में उमेश भारद्वाज के साथ बैंक और कोषागार के कर्मचारी, अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है, जबकि इस मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता से राय ले ली गई है।

newsvoxindia
Author: newsvoxindia

Leave a Comment

error: Content is protected !!