बदायूं।शराब की लत और पारिवारिक कलह ने एक युवक की जिंदगी छीन ली। पहले उसे पीट-पीटकर मार डाला गया, फिर खुदकुशी का नाटक रचाने के लिए शव को रेलवे ट्रैक के किनारे फेंक दिया गया। पुलिस जांच में जो खुलासे हुए, उन्होंने रिश्तों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। हत्या करने वाले कोई बाहरी नहीं, बल्कि युवक के अपने सगे भाई-भाभी और मां ही निकले।
कुंवरगांव थाना क्षेत्र के अहरुईया गांव के निवासी वीरभान की गुमशुदगी उसके पिता लीलाधर ने 19 मई को दर्ज कराई थी। अगले ही दिन उसका शव बिनावर थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर ब्यौर गांव के पास रेलवे लाइन किनारे मिला। शव के पास पड़ा गमछा और शरीर पर चोटों के निशान साफ तौर पर हत्या की ओर इशारा कर रहे थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और तफ्तीश में जब शक का दायरा घर के भीतर पहुंचा, तो पुलिस ने वीरभान की मां माया देवी, भाई भगवान दास और भाभी सोमवती को हिरासत में लेकर पूछताछ की। जो खुलासा हुआ, वह दिल दहला देने वाला था।
हत्या की वजह:
पुलिस के मुताबिक, वीरभान शराब का आदी था और घर का सामान बेचकर नशा करता था। वह अक्सर अपने हिस्से की जमीन बेचने के लिए परिजनों पर दबाव बनाता था। इसी झगड़े से तंग आकर भगवान दास और उसकी पत्नी सोमवती ने उसकी हत्या की साजिश रची।
हत्या की योजना:
कथित तौर पर विवाद के दौरान दोनों ने वीरभान को छत से धक्का दे दिया, जिससे वह मुंह के बल गिरा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद शव को फंदे से लटकाने का नाटक रचा गया और मां माया देवी को बताया गया कि बेटा आत्महत्या कर चुका है। पूरे परिवार को फंसने से बचाने के लिए, मां को चुप रहने के लिए कहा गया।
इतना ही नहीं, आरोपियों ने मृतक की ससुराल जाकर वहां से जेवर भी ले आए। रात में तीनों ने शव को ई-रिक्शा में डालकर रेलवे ट्रैक के पास फेंक दिया और गांव में अफवाह फैला दी कि वीरभान कहीं लापता हो गया है।
पुलिस की कार्रवाई:
कुंवरगांव पुलिस ने वीरभान की हत्या में गुमशुदगी की रिपोर्ट को हत्या में तरमीम किया और आरोपियों को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान उनकी निशानदेही पर रस्सी, दरांती और ई-रिक्शा बरामद कर लिया गया है।
गिरफ्तारी करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार, वरिष्ठ उपनिरीक्षक योगराज सिंह, हेड कांस्टेबल गिरिराज सिंह, कांस्टेबल आयुष कुमार, दामिनी और मीना पाल शामिल रहीं।
