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एडवांस्ड वायरोलॉजिकल तकनीक पर हुई कार्यशाला,कई राज्यों से मास्टर्स हुए शामिल,

बरेली । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के जैविक उत्पाद विभाग में “ऐड्वान्स्ड वायरोलॉजिकल टेक्नीक फॉर रिसर्च इन लाइफ साइन्स” पर एक डीएसटी-एसईआरबी प्रायोजित उच्च-स्तरीय कार्यशाला शुरू की गई। यह दस दिवसीय कार्यशाला 25 अगस्त तक आयोजित की जाएगी।

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इस कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों केरल, आसाम, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र , कोलकाता, उतराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब सहित 10 राज्यों से मास्टर्स और पीएचडी के कुल 20 छात्र शामिल हुए हैं।
कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कार्यशाला के विषय पर प्रसन्नता व्यक्त की और विज्ञान संबंधी तकनीकों के विभिन्न पहलुओं पर अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे कार्यशाला में सक्रिय भाग लें और संस्थान के अनुभवी शिक्षकों से सीखें और इन सीखों को अपने शोध कार्यक्रम में शामिल करें।

 

 

इस अवसर पर व्याख्यान युक्त एक ई-मैनुअल का भी विमोचन संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त, संयुक्त निदेशक (केडराड) डॉ. के.पी. सिंह, संयुक्त निदेशक ((शैक्षणिक), डॉ एस. के. मेंदीरत्ता, प्रभारी पीएमई सेल, डॉ. जी. साई कुमार, विभागाध्यक्ष जैविक उत्पाद विभाग डॉ. रविकान्त अग्रवाल, विभागाध्यक्ष मानकीकरण विभाग, डॉ. पी. धर, विभागाध्यक्ष बी एंड एम, डॉ. पी. दंडापत, और अन्य संकाय सदस्य की उपस्थिति में किया गया ।
इस अवसर पर जैविक उत्पाद विभाग के विभागाध्यक्ष रविकान्त अग्रवाल ने प्रतिभागियों को कार्यशाला में विभिन्न परम्परागत एवं नई तकनीकों पर अनुभव ग्रहण करने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।

 

 

इस कार्यशाला में पारंपरिक और उन्नत वायरोलॉजिकल तकनीकों जैसे सेल-कल्चर और वायरस हैंडलिंग, वायरस शुद्धिकरण और क्वांटिफिकेशन, एस एन टी, फैट, एलिसा, पी सी आर, रियल टाइम पी सी आर, पेज, पी ओ सी टी और कटिंग-एज तकनीक जैसे पी एस आर, क्रिस्पर कैस, ड्रापलेट डिजिटल पी सी आर, फ्लोसाइटोमेट्री, एस पी आर बायोसेसर, इन-वीवो इमेजिंग आदि नैदानिक तकनीकों पर सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक जानकारी देने की बात कही।
इस कार्यक्रम के स्वागत भाषण में कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ के के रजक ने कार्यशाला के बारे में संक्षिप्त रूप रेखा दी। साथ ही इस वर्कशॉप में होने वाले लेक्चर और प्रैक्टिकल के बारे में भी बताया। डॉ. रजक ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जैविक उत्पाद के अलावा जैविक मानकीकरण, बैक्टीरियोलोजी, बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी, फिजियोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, वेटरनरी पब्लिक हेल्थ, और एपिडेमियोलॉजी के संकाय भी शामिल हैं। आई वी आर आई के बाहर के चार संकाय सदस्य ऑनलाइन तरीके से व्याख्यान देंगे।
इसके अलावा, प्रत्येक तकनीकी सत्र को एक परिचयात्मक भाग के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि छात्र अपने हाथों के द्वारा खुद नैदानिक तकनीक के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में सक्षम हों।

 

इस दस दिवसीय कार्यशाला का समन्वय डॉ. के.के. रजक, डॉ. अजय कुमार यादव, डॉ. मुकेश भट्ट, डॉ. विक्रमादित्य उपमन्यु, डॉ. बब्लू कुमार और डॉ. आर.के. अग्रवाल के देखरेख में होगा।कार्यशाला का संचालन डॉ. मुकेश भट्ट द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अजय कुमार यादव द्वारा दिया गया ।

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