नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जाने के विवाद ने देश की सियासत को गरमा दिया है। विपक्षी गठबंधन इंडिया
सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में हुई बैठक में नेताओं ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के रवैये पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि सीईसी ने हाल ही में आयोजित प्रेस वार्ता में विपक्ष और जनता की चिंताओं का कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
बैठक में शामिल कुछ सांसदों ने सुझाव दिया कि इस मामले को और आगे ले जाया जाए और आवश्यकता पड़ने पर सीईसी के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर भी विचार हो। हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और विपक्षी दल इस पर फिर से विचार-विमर्श करेंगे।
कांग्रेस नेता नसीर हुसैन ने कहा कि विपक्ष लोकतांत्रिक तरीकों से ही लड़ाई लड़ेगा और चुनाव आयोग से जनता की शंकाओं को दूर करने की अपेक्षा करता है।इधर, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान हटाए गए 65 लाख नामों की सूची सार्वजनिक कर दी है।
अधिकारियों के अनुसार, मतदान केंद्रों पर ‘एएसडी’ यानी अनुपस्थित, स्थानांतरित और मृत मतदाताओं के नामों की सूची चस्पा की गई है। इसके साथ ही हटाए गए नामों का विवरण ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया गया है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि रोहतास, बेगूसराय, सीवान, भोजपुर, जहानाबाद, दरभंगा, पूर्णिया सहित कई जिलों के मतदान केंद्रों पर यह सूची प्रदर्शित कर दी गई है।
इस घटनाक्रम से बिहार की राजनीति और गरम हो गई है। विपक्ष का आरोप है कि मतदाता सूची से नाम हटाकर बड़े पैमाने पर वोट चोरी की कोशिश की जा रही है, जबकि चुनाव आयोग का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया नियमों और अदालत के आदेश के अनुसार की गई है।
