उर्स-ए-रज़वी का दूसरा दिन : मुफ़्ती-ए-आज़म कॉन्फ्रेंस, चादरों के जुलूस और लंगर-ए-आम
बरेली।दरगाह आला हज़रत में जारी 107वें उर्स-ए-रज़वी और उर्स-ए-अमीन-ए-शरीअत के दूसरे दिन शहर का माहौल जश्न और अकीदत से भरा रहा। दिनभर अलग-अलग इलाकों से चादरों के जुलूस “बैतुर्रज़ा” और मज़ार-ए-आला हज़रत तक पहुंचे। वहीं, ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी (आरएसी) की ओर से लंगर-ए-आम, फ्री मेडिकल कैंप और फ्री टेंपो सेवा लगातार जारी रही।
शाम को मरकज़ी मस्जिद बीबी जी में हुज़ूर मुफ़्ती-ए-आज़म हिंद कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई जिसकी सरपरस्ती नबीरा-ए-आला हज़रत और आरएसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने की। उन्होंने अपने ख़िताब में तालीम और पर्दे की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा कि मुसलमान अपनी मेहनत की कमाई को बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करें और बेटियों की हिफ़ाज़त व तालीम को प्राथमिकता दें।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम बच्चियों को पर्देदार, पढ़ी-लिखी और परहेज़गार बनाना समाज की जिम्मेदारी है।अदनान मियां ने इज्तेमाई निकाह की मुहिम को भी आगे बढ़ाने का एलान किया। उन्होंने कहा कि यह पहल मुस्लिम बच्चियों के ईमान और जान की हिफ़ाज़त के लिए बेहद अहम है और इस साल भी बड़े पैमाने पर आयोजित की जाएगी।
अपने तालीमी संदेश के साथ उन्होंने समाज में बढ़ रही बुराइयों से बचने की ताकीद की। खासतौर पर नशाखोरी और जुए पर चेतावनी देते हुए कहा कि इस्लाम में हर तरह का नशा हराम है, चाहे उसका नाम बदलकर कुछ भी रख दिया जाए। नौजवानों को शराब और जुए जैसी आदतों से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बुज़ुर्गों की नसीहतों और मुफ़्ती-ए-आज़म हिंद की हिदायतों पर अमल करना ही सच्चा ख़िराज-ए-अक़ीदत है।
कॉन्फ्रेंस की शुरुआत मुफ्ती उमर रज़ा द्वारा तिलावत-ए-कुरआन से हुई। इसके बाद नात और मनक़बत पेश किए गए। कार्यक्रम में मुफ़्ती उमर रज़ा, सय्यद शबाहत मियां, सय्यद फरमान मियां, अहमद-उल-फत्ताह फैज़ाबादी सहित कई उलमा-ए-किराम ने तक़रीरें कीं। बड़ी संख्या में आरएसी के पदाधिकारी, उलमा और अकीदतमंद मौजूद रहे।
इस मौके पर शहर और आसपास के इलाकों—मनहेरा, सेंथल, गैनी, भोजीपुरा, नवाबगंज और बिथरी चैनपुर से आए जायरीन ने चादरें पेश कीं। बाहर से आए मेहमानों ने भी हज़रत अदनान मियां से मुलाकात कर दुआएं लीं।
