भगवान स्वरूप राठौर
शीशगढ़।नगर पंचायत शीशगढ़ में पिछले सात वर्षों से रह रहे घुमंतू जाति से जुड़े नौ लोगों द्वारा स्वयं को शीशगढ़ में जन्मा दिखाकर जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का मामला सामने आया है। इन लोगों ने उपजिलाधिकारी मीरगंज को हलफनामा देकर आवेदन किया था। मामले की जांच कराए जाने पर अधिशासी अधिकारी की रिपोर्ट में पूरे प्रकरण में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 में घुमंतू जाति से जुड़े करीब छह परिवार शीशगढ़ कस्बे के मोहल्ला शेखुपुरा में आकर बसे थे। इन परिवारों ने कस्बे के एक व्यक्ति से जमीन खरीदी और स्टांप पेपर पर लिखापढ़ी कर अपने आशियाने बना लिए। वर्तमान में इन परिवारों के लगभग 40 सदस्य शीशगढ़ में निवास कर रहे हैं।
एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के बाद जब वर्ष 2003 की मतदाता सूची में इन लोगों के नाम नहीं पाए गए, तो हलचल मच गई। इसके बाद इन लोगों ने स्वयं को शीशगढ़ में जन्मा दर्शाते हुए जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए रफ्फन, नगीना, सितारा, शमशुल, मोअज्जम, शौकीन, ताहिर, शहादत और सफन मियां सहित नौ लोगों ने एसडीएम मीरगंज के समक्ष आवेदन किया।
एसडीएम द्वारा मामले की रिपोर्ट अधिशासी अधिकारी शीशगढ़ से मांगी गई। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि आवेदकों का शीशगढ़ में जन्म होना संदिग्ध है। रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेज और गलत तथ्यों के आधार पर आवेदन किए जाने की बात उजागर हुई है। ऐसे में सभी आवेदनों के निरस्त होने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही झूठा हलफनामा देने के मामले में संबंधित लोगों पर कार्रवाई की तलवार भी लटक रही है।
बताया जा रहा है कि इन लोगों के पूर्वज उत्तराखंड के किच्छा क्षेत्र में रहते थे। इसके बाद ये लोग मीरगंज तहसील के गांव सुजातपुर और शाही नगर पंचायत में कुछ समय तक रहे। वर्ष 2018 में ये सभी शीशगढ़ नगर पंचायत में आकर बस गए, जहां उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी मिलने की चर्चा है।
स्थानीय लोगों के अनुसार वोटों के लालच में एक सभासद द्वारा इन्हें शीशगढ़ का निवास प्रमाण पत्र दिलवाया गया, जिसके आधार पर इनके आधार कार्ड भी बनवा दिए गए। इतना ही नहीं, नगर पंचायत चुनावों में इन लोगों ने मताधिकार का प्रयोग भी किया। हालांकि एसआईआर शुरू होने के बाद पूरा मामला सामने आ गया।
जन्म प्रमाण पत्र के लिए दिए गए हलफनामों में आवेदकों ने अपना जन्म वर्ष 1955 से लेकर 1995 तक दर्शाया है, जबकि वे वर्ष 2018 में ही शीशगढ़ में आकर बसे थे। हलफनामों में शीशगढ़ के दो गवाहों के हस्ताक्षर भी दर्ज हैं। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि झूठा हलफनामा देने और झूठी गवाही देने वाले दोनों ही कानूनी रूप से दोषी माने जा सकते हैं।
इस संबंध में उपजिलाधिकारी आलोक कुमार सिंह ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है और इसकी जांच शीशगढ़ नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।



