बरेली। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बरेली में एक अलग ही नजारा देखने को मिला, जब मुस्लिम समुदाय के प्रतिष्ठित धर्मगुरु मौलाना शाहबुद्दीन रजवी ने मदरसों के बच्चों और शिक्षकों के साथ मिलकर सामूहिक योगाभ्यास किया। मौलाना द्वारा की गई यह पहल साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक मानी जा रही है, लेकिन योगाभ्यास में सूर्य नमस्कार से दूरी बनाई रखी ।
कार्यक्रम के दौरान मौलाना शाहबुद्दीन रजवी खुद योग आसनों का अभ्यास करते नजर आए और उन्होंने बच्चों को भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की महत्ता समझाई। उन्होंने कहा कि योग भारत की विरासत है और इसका संबंध किसी धर्म से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवनशैली से है। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे योग को अपनाएं क्योंकि यह शरीरिक तंदरुस्ती का अहम साधन है।
हालांकि, इस दौरान जब सूर्य नमस्कार किए जाने की बारी आई, तो मौलाना और उनके साथ मौजूद लोगों ने उसमें भाग नहीं लिया। मौलाना ने स्पष्ट किया कि योग का अभ्यास उन्होंने किया लेकिन सूर्य नमस्कार की कुछ मुद्राएं धार्मिक भावनाओं से जुड़ी मानी जाती हैं, और इसलिए उन्होंने उससे परहेज़ किया।
