बज़्म से जिनको मोहम्मद ने उठा रखा है,

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बरेली : शियां समुदाय के 5वें इमाम बाकिर की विलादत के जश्न में एक तरही महफिल सजी।महफिल का उनवान “‘इल्म के शहर का हर बाब खुला रखा हैं”। किला स्थित ज़खीरा में डॉक्टर अक़ील ज़ैदी के निवास पर महफ़िल आयोजित हुई। महफ़िल में बाहरी शायरों के अलावा मक़ामी शायरों नें भी शिरकत कर सामईन का समा बंधा। महफ़िल में निज़ामत कर रहे हुनर फरुखाबादी नें अपने क़लाम से शुरुआत कर पढ़ा
उसके घर हो गया मासूमों का आना जाना।

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जिसने भी फर्श -ए अज़ा घर में बिछा रखा हैं।

अब मुझे खुल्द में जाने से ना रोकेगा कोई।
मैंने पलकों पे जो अश्कों को सजा रखा है। ( अनवर सेथली )

वही महफिल में अक़ील ज़ैदी सेथली के इस शेर को सामईन नें ख़ूब पसंद किया।
हम कभी उनकी हिमायत नहीं करते हैं जनाब l
बज़्म से जिनको मोहम्मद ने उठा रखा है।(डॉक्टर अकील ज़ैदी सेथली)

है यक़ी आएंगे आएंगे जरूर आएंगे।
खान ए दिल का यूं दरवाज़ा खुला रखा हैं। (शुजाअत सेथली)

सिर्फ बाकिर के गुलाम के लिए खालिक नें।
इल्म के शहर का दरबार खुला रखा हैं। (सदफ मुरादाबादी )

मैने यूं सर दरे बाकिर पा झुका रखा हैं।

 

 

मुनीब जैदी के निवास पर आयोजित हुए कार्यक्रम की एक फोटो

मेरी औकात से क़द मेरा बढ़ा रखा हैं। ( मौलाना अफसर सेथली )
वही इसके अलावा मोनिस बरेलवी, ज़ीशान हैदर, रिज़वान बरेलवी,अलिअलीम बरेलवी नें भी अपने अपने क़लाम पेश किये। महफ़िल के अंत में इमाम ए जुमा मौलाना शमशुल हसन खां नें इमाम बाकिर की जिंदगी पर रोशनी डाली। महफ़िल में मुहामिद ज़ैदी, कलीम हैदर सैफी, कमल , असहाब, वसीम,शब्बू, यासीन, ज़ुल्फीकार, सोमिल, जमाल, असद, फैज़ुल समेत अन्य लोग मौजूद रहे

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Author: newsvoxindia

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