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पढ़ने के डर से आंगनबाड़ी के कमरे में छिप गई थी निहारिका, पुलिस ने दर्ज किए बयान

बरेली। पढ़ने के डर से निहारिका स्कूल की छुट्टी होने के बाद दादी को बस्ता देकर आंगनबाड़ी के कमरे में छिप गई थी। दादी जब घर पहुंचीं तो निहारिका उन्हें नहीं मिली। वह स्कूल पहुंची तो वहां भी नहीं मिली। स्कूल बंद कर स्टाफ घर जा रहा था। पुलिस इंस्पेक्टर ने भी विद्यालय पहुंचकर जांच की। उसमें भी यही तथ्य पाए गए हैं।ग्राम निवड़िया आंगनबाड़ी केंद्र गांव के सरकारी स्कूल के कक्ष में संचालित है। उसमें गांव की निहारिका पुत्री संजीव उम्र 5 वर्ष शुक्रवार को अपने भाई वंश कक्षा प्रथम के छात्र ‌के साथ पढ़ने गई थी। आंगनबाड़ी केंद्र पर दोपहर 12 बजे बच्चों की छुट्टी हो गई तो निहारिका स्कूल से बाहर अपने भाई की प्रतीक्षा करने लगी। अपरान्ह 2 बजे जब उसके भाई की छुट्टी हुई तो उसकी दादी दोनों बच्चों को घर ले जाने के लिए स्कूल आईं। दादी को देखते ही निहारिका ने भी अपना बस्ता उन्हें थमा दिया।

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उस दौरान दादी कुछ लोगों से बात कर रहीं थीं। उन्होंने निहारिका पर ध्यान नहीं दिया। बस्ता लेकर दादी घर पहुंची तो भाई वंश तो घर पर था परंतु निहारिका नहीं पहुंची। तब उसकी खोजबीन की गई। निहारिका के परिजनों ने अध्यापकों को फोन किया तो अध्यापक मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मेन गेट का ताला खोला। आंगनबाड़ी के कमरे में निहारिका छिपी बैठी थी। निहारिका के मिलने पर परिजनों ने राहत की सांस ली। परिजनों ने बताया कि वह घर पर ट्यूशन पढ़ती है। जिसके डर से वह आए दिन ऐसे ही कहीं न कहीं छिप जाती है। उसके स्कूल में बन्द मिलने की खबर आई तो इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह भी स्कूल पहुंचे। उन्होंने बताया कि घटना से स्कूल स्टाफ व आंगनबाड़ी की लापरवाही उजागर नहीं होती है। बच्ची स्वयं पढ़ाई के डर से पहले भी छिप जाती थी। खंड शिक्षा अधिकारी शशांक शेखर ने बताया कि स्कूल स्टाफ की लापरवाही प्रतीत नहीं होती। फिर भी प्रधानाचार्य से स्पष्टीकरण लिया गया है। उसे उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा।

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