सनातन धर्म-संस्कृति में पवित्र नदियों में स्नान-दान का विशेष महत्व है.
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बताया जा रहा है कि स्नान करने से 3 कायिक, 4 वाचिक और 3 मानसिक यानी कुल मिलाकर 10 पापों से से मुक्ति मिलेगी. स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, रुपए, आभूषण और पूजन-सुहाग सामग्री के अतिरिक्त मौसमानुसार खरबूजा, सत्तू, शर्बत, पंखा आदि का दान किया जा सकेगा. पौराणिक कथाओं के मुताबिक इक्ष्वाकुवंशीय सम्राट दिलीप के पुत्र भागीरथ ने घोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया था. तब भगवान शिव की जटाओं से निकलकर मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ. इसी क्रम में कपिल मुनी के शाप से भस्म हुए राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार संभव हो सका