बरेली:
तनाव, चिंता (एंजाइटी), अवसाद (डिप्रेशन), उदासी और मानसिक थकान (मेंटल फटीक) अब आम जीवन की समस्याएं बन चुकी हैं। कोविड महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक चरन के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करता है। अनियमित दिनचर्या, असंतुलित आहार, नींद की कमी और निष्क्रिय जीवनशैली मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर करती हैं। विश्व स्तर पर हर आठ में से एक व्यक्ति मानसिक विकार से पीड़ित है, वहीं भारत में करीब 20% लोग किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित करने वाले कारक: काम और आर्थिक तनाव, पारिवारिक समस्याएं, सोशल मीडिया और सामाजिक तुलना, शारीरिक बीमारियां, दवाएं और आनुवंशिक कारण।
लक्षण: लगातार उदासी, अत्यधिक चिंता, नींद और भूख में बदलाव, सामाजिक गतिविधियों से दूरी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और आत्महत्या के विचार।
उपचार: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, नए कौशल सीखना, सकारात्मक सोच और माइंडफुलनेस तकनीक। गंभीर मामलों में मनोरोग विशेषज्ञ या प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट से परामर्श जरूरी है।
डॉ. दीपक कहते हैं, “जैसे हम शारीरिक रोगों में डॉक्टर से सलाह लेते हैं, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल भी जरूरी है। स्वस्थ मानसिकता जीवन को खुशहाल और सफल बनाती है।




