बरेली | बरेली की रूहानी सरज़मीं एक बार फिर अकीदतमंदों से गुलज़ार होने जा रही है। दरगाह आला हज़रत में इस बार 9 जुलाई, बुधवार को मुफ़्ती-ए-आज़म हिंद हज़रत मौलाना मुस्तफा रज़ा खान क़ादरी नूरी रह.
यह एक दिवसीय उर्स का आगाज़ नमाज़-ए-फज्र के बाद कुरानख्वानी से होगा। दिनभर नात, मनकबत और मुफ़्ती-ए-आज़म की इल्मी और फिक्ही सेवाओं पर रौशनी डालते हुए उलमा-ए-किराम की तक़रीरें होंगी।
मुख्य कार्यक्रम नमाज़-ए-ईशा के बाद शुरू होगा, जबकि कुल शरीफ की रस्म रात 1:40 बजे अदा की जाएगी। इस मौके पर सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की खास दुआ होगी, जिसमें मुल्क की सलामती, अमन-ओ-शांति और इंसानियत की तरक्की की दुआ की जाएगी।
कार्यक्रमों की सरपरस्ती दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) करेंगे, जबकि सैय्यद आसिफ मियां की निगरानी में तमाम व्यवस्थाएं पूरी होंगी।
दरगाह के वरिष्ठ मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने बताया कि इस रूहानी मौके पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में अकीदतमंद बरेली पहुंचेंगे। उर्स-ए-नूरी सिर्फ मजहबी आयोजन नहीं, बल्कि एक पैग़ाम है — अमन, मोहब्बत और इंसानियत का, जिसे दुनिया के हर कोने में फैलाने का काम यह दरगाह करती है।
उर्स की तैयारियों को लेकर बैठक
दरगाह परिसर में हुई बैठक में आयोजन को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। इसमें टीटीएस और जिम्मेदारान — शाहिद नूरी, औरंगज़ेब नूरी, हाजी जावेद ख़ान, नासिर कुरैशी, ताहिर अल्वी, मुजाहिद बेग, सुहैल रज़ा, मंज़ूर रज़ा, साजिद नूरी, ज़ोहेब रज़ा, तारिक सईद सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
