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संडे स्पेशल :नाथ कॉरिडोर से शहर को पर्यटन क्षेत्र में मिलेगी नई पहचान , करोड़ो की लागत से शहर में होंगे कई विकास कार्य,

बरेली। यूपी का बरेली शहर जल्द देश के नक्से पर आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में नई पहचान ओढ़ने वाला है। इसकी तैयारी यूपी सरकार ने कर ली है। सरकार करोड़ो रूपये खर्च करके शहर के कुछ खास मन्दिरों को कॉरीडोर से जोड़कर नई पहचान देने की कोशिश में लगी हुई है। हालांकि बरेली की अपनी विरासत है, यहां के लोग अमन पसंद है , आपसी भाईचारे के साथ रहना पसंद करते है। लेकिन इस बीच कुछ खुराफातियों ने यहां के अमन पसंद लोगों पर दाग लगाने की कोशिश भी की पर यहां के प्रशासन ने ऐसे लोगों को जमकर सबक सिखाया।

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बुजुर्ग बताते है कि प्राचीन काल में बरेली को बांस बरेली का नाम से जाना जाता था और अब यह नाथ नगरी और आलाहजरत नगरी के रूप में पहचाना जाता है। बरेली उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा नगर और भारत का 50 वां सबसे बड़ा शहर है। बरेली उत्तराखंड राज्य से सटा जिला भी है। इसकी बहेड़ी तहसील उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर की सीमा से लगी भी है। बरेली को दिल्ली और लखनऊ के बीच में होने की वजह से दोनों का दिल भी कहा जाता है।

 

 

 

 

बरेली जिले की स्थापना कब हुई?
बरेली जिले की स्थापना राजा जगतसिंह द्वारा की गई थी उनके नाम पर उस समय जगतपुर नाम  का गांव अस्तित्व में आया था । उनके बेटे बांसू देव, बरेल देव (दोनों भाइयों) ने 1537 में बरेली जिले को बसाया और फिर इसका नाम बास बरेली रखा ।

 

आध्यात्मिक पर्यटन के द्वारा शहर के विकास को आगे बढ़ाने की सरकार की पहल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा और सांस्कृतिक विरासत को समाहित करते हुए नाथ मंदिर कॉरिडोर की दो डीपीआर तैयार की गई हैं। वैदिक वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए नाथ मंदिरों का लेआउट और डिजाइन तैयार किया गया है। मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम को दो भागों में नाथ मंदिरों की डीपीआर भेज दी है।

 

 

 

 

 

114 करोड़ से नाथ मन्दिरों में होंगे विकास कार्य,

बरेली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जोगेंद्र सिंह ने बताया कि 114 करोड़ से नाथ मंदिरों में आध्यात्मिक पर्यटन के विकास को बढ़ावा देने से सबंधित निर्माण कार्य कराए जायेंगे। 27.72 करोड़ से नाथ मंदिरों का सौंदर्यीकरण कराया जायेगा।नाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण अब तेजी से रफ्तार भरेगा। इसको लेकर सभी तैयारी पूरी हो गई हैं।

 

 

 

नाथ मंदिर कॉरिडोर से शहर की सड़कें होंगी चकाचक,

नाथ मंदिरों को जाने वाली सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को दी गई है। इसके लिए 125 करोड़ के बजट की मंजूरी मिल चुकी है। सड़कों को फोरलेन किया जा रहा है। नाथ मंदिर कॉरिडोर को लेकर 21 जून को जनप्रतिनिधि और संभ्रांत लोगों ने अपने-अपने सुझाव दिए थे। इसके बाद सात जुलाई को मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने शासन को वित्तीय सहायता के लिए डीपीआर भेजी थी। नाथ मंदिर कॉरिडोर और नाथ मंदिरों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट का 14 अगस्त को वर्चुअल प्रस्तुतिकरण किया गया था। प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट की काफी सराहना की। इसके बाद इसे दो भागों में विभक्त करने के निर्देश दिए गए थे।

 

वैदिक काल की वास्तु कला से मंदिरों को मिलेगी नई पहचान

नाथ सर्किट के अन्तर्गत प्रारंभिक परियोजना में वर्णित विभिन्न सड़कों की स्वीकृति देते हुए लोक निर्माण विभाग को निर्माण करने के निर्देश निर्गित किए गये हैं । बरेली विकास प्राधिकरण के आर्किटेक्ट सुमित अग्रवाल ने नाथ मंदिरों में टूरिज्म और विकास की डीपीआर अलग तैयार की। इसके बाद मंदिरों के मंदिरों के सौंदर्यीकरण और सुदृढ़ीकरण की डीपीआर वैदिक वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। इसको शासन को भेजा गया है।

 

नाथनगरी की हर चौराहे पर दिखेंगे ओम त्रिशूल और डमरू

काशी की तर्ज पर आध्यात्मिक विरासत और संस्कृति को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के लिए अब हर चौराहे तिराहे पर भगवान शिव के ओम, त्रिशूल और डमरू नजर आएंगे। बरेली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जोगेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक बरेली के चारों ओर आदिनाथ, अलखनाथ, मढ़ीनाथ-तपेश्वर नाथ व पशुपतिनाथ गेट बनकर तैयार हो गए हैं। उन पर पत्थर लगाए जाने का कार्य प्रगति पर है। डेलापीर पर डमरू, इन्वर्टिश और झुमका तिराहे पर ओम, नकटिया और बनखंडी नाथ मंदिर के पास त्रिशूल स्थापित किया जाएगा।

 

प्रथम चरण में विकसित होंगे चार चौराहे, तैयार हो रही डीपीआर

बरेली विकास प्राधिकरण डेलापीर चौराहे पर तेजी से निर्माण करवा रहा है। डेलापीर चौराहे का नाम आदिनाथ चौराहा होगा। वहां सेल्फी प्वाइंट बनेंगे। नाथ नगरी में प्रमुख स्थानों पर फोकस वाल का निर्माण करने की प्रस्तावना की गई है , जिसपर १२ ज्योतिर्लिंग की झांकी होगी साथ ही भगवान शिव और नाथ मंदिरों के इतिहास से परिचय कराया जाएगा। इसके अलावा सौ फुटा तिराहा, बीसलपुर चौराहा और मिनी बाईपास तिराहा को भी नाथ नगरी को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाएगा। विभिन्न चौराहों के सौंदरीयकरण एवं विकास की डिज़ाइन एवं डीपीआर पृथक रूप से तैयार कराई जा रही है। इसमें पर्यटन विभाग, बरेली विकास प्राधिकरण, नगर निगम की सहभागिता होगी।

 

 

बांसू देव और बरेल देव को नहीं  मिल पाई पहचान

बरेली शहर को बसाने वाले बांसू देव और बरेल देव के नाम पर शहर में उनकी याद में कुछ नहीं है। शहर के जानकार कहते है कि शहर में किसी ऐसी इमारत का नाम दोनों भाइयों के नाम पर दिया जा सकता था पर किसी भी सरकार में यह संभव नहीं हो सका।

 

 

 

 

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