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उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने प्रांतीय सम्मेलन का किया आयोजन , मंत्री धर्मपाल , डॉक्टर अरुण कुमार रहे मौजूद

यूपी के बरेली में आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने  प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन किया।  यह सम्मेलन मिनी बाईपास स्थित एक रिसोर्ट में हुआ जहां 40 से अधिक जिलों के व्यापारियों ने भाग लिया। इस मौके पर संगठन से संबंधित चुनाव हुआ जिसमें चुनाव जीतने के बाद कई और को नई जिम्मेदारी मिली।  सम्मेलन में कई महिला व्यवसायी भी शामिल हुई।  इस कार्यक्रम में बिजनौर , पीलीभीत , मुजफ्फरनगर, सहित कई जिलों के व्यापारियों ने प्रतिभाग किया।  इस मौके पर व्यापारियों से सम्बंधित समस्याओं पर भी चर्चा हुई।  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह , वन राज्यमंत्री अरुण कुमार सहित मेयर उमेश गौतम के साथ मीरगंज विधायक डीसी वर्मा , बिथरी विधायक डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा , नवाबगंज विधायक डॉक्टर एमपी आर्य भी शामिल हुए।

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कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि व्यापारियों की तारीफ करते हुए कहा कि समाज में व्यापारी नौकरी देने का काम करता है लोगों को रोजगार देता इस बिरादरी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। वन राज्य मंत्री डॉक्टर अरुण कुमार ने कहा कि व्यापारी समाज में बहुत मेहनत करता है और अपनी ईमानदारी से काम करता है।  कई लोगों को रोजगार देता है। टैक्स भी देता है।  व्यापारी  समाज के लिए खास होता है।  उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में व्यापारी का सम्मान होता है , इससे पहले की सरकारों में व्यापारियों से अवैध वसूली , गुंडई होती थी।  व्यापारी परेशान रहता था पर इस सरकार में सब ठीक है।  इस सरकार में सुरक्षा और सम्मान है।  इस मौके पर व्यापारियों ने अपना एक ज्ञापन अपनी मांगो के सम्बन्ध में कार्यक्रम में आये मंत्रियों को दिया।

देखिये यह वीडियो

https://youtu.be/dRHR9YKcbXM

 

 

कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संगठन की ओर प्रदेश अध्यक्ष रवि प्रकाश अग्रवाल , मुकुल अग्रवाल प्रदेश महामंत्री , अंकित शुक्ला , महानगर अध्यक्ष , सुधीश पांडेय जिला अध्यक्ष , शिल्पी दीक्षित महिला महानगर , प्रदीप पुष्कर , अंकित माहेश्वरी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

 

व्यापारियों ने ज्ञापन द्वारा रखी यह मांगे :
1. बच्चों के ड्राइविंग लाइसेंस की उम्र सीमा 18 से घटाकर 15 की जाए ताकि वह बच्चे स्कूटी पर ट्यूशन पढ़ने अथवा स्कूल जा सके। जाते अब भी हैं परंतु अभी बिना लाइसेंस के जाते हैं, उन्हें नियमों का भी ज्ञान नहीं होता, नियमित होगा तो नियमों का ज्ञान भी रहेगा और डर भी बना रहेगा।

2. प्रत्येक जिले में ट्रैफिक पुलिस द्वारा चेकिंग के नाम पर दूसरे जिले तथा अन्य प्रदेशों की आई हुई गाड़ियों की चेकिंग के नाम पर लूट की जाती है, यह तत्काल बंद की जानी आवश्यक है । केवल उसी के कागज़ चेक किए जाएं जो गाड़ी संदिग्ध लगे अथवा जिसने नियम तोड़े हो ।

3. एनसीआर में एनजीटी के लागू हुए 10 साल व 15 साल के डीजल व पेट्रोल वाहनों को प्रतिबंधित किए जाने में विलंब किया जाए। जब तक स्क्रैप पॉलिसी ना आ जाए ,गाड़ियों को स्क्रैप करने की फैक्ट्रियां/ इकाइयां ना लग जाए जब तक इन गाड़ियों को स्क्रैप ना किया जाए अन्यथा इन्हें काट कर इनका दुरुपयोग किया जाएगा।

 

 

4. ई रिक्शा चलाने वाले चालकों के लिए लाइसेंस प्रक्रिया आवश्यक की जाए। देखने में आता है कि बहुत ही छोटी उम्र से लेकर के 90 साल से अधिक वर्ष के बुजुर्ग इसे चलाते हैं, जिनको  नियमों का भी खास ज्ञान नहीं होता।

5. व्यापारी वर्ग के द्वारा सरकार जीएसटी एकत्रित करने का काम करती है। व्यापारी का काम जीएसटी ग्राहक से वसूलना, रिकॉर्ड मेंटेन करना, सरकार के खातों में जमा करना तथा उसके पश्चात अपनी रिटर्न भरना और कागज चेक कराने में व्यापारी को किसी प्रकार की मदद सरकार की ओर से नहीं मिलती है। जीएसटी   वसूलने हेतु जिस प्रकार 5 परसेंट 18 परसेंट 28 परसेंट के स्लैब सरकार द्वारा बनाए गए हैं, उसी प्रकार 3 परसेंट से लेकर 5 परसेंट तक व्यापारी को एकत्रित जीएसटी में से वापस दिए जाने की आवश्यकता है ,ताकि वह अपने रिकॉर्ड मेंटेन कर सके और ज़िम्मेदारी के साथ  ग्राहक से वसूली कर सके । ऐसा ना किए जाने की स्थिति में ग्राहक से जीएसटी वसूलने की जिम्मेदारी सरकार की हो व्यापारी की ना हो। व्यापारिक प्रतिष्ठान से बाहर जाते हुए ग्राहक से सरकार  सड़क पर अपने आप जीएसटी वसूल करें।

6. व्यापारी वर्ग के शस्त्र लाइसेंस बनाने में किसी प्रकार की बाधा न हो। गंभीर अपराधों में लिप्त व्यापारी को छोड़ सभी को शस्त्र लाइसेंस की खुली छूट दिए जाने की आवश्यकता है।

7. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा विभिन्न निर्वाचन के टेंट, पेट्रोल पंप, लाइट, बैरिकेडिंग इत्यादि के ठेकेदारों को पिछले 5 साल तक के भुगतान नहीं हुए हैं । इन सभी व्यापारियों के भुगतान तत्काल रुप से कराया जाए ताकि वह अपने व्यापार को चला सके और बच्चों का भरण पोषण कर सकें।

8. अन्य आयोग की तर्ज पर व्यापारी आयोग के गठन किए जाने की आवश्यकता है जिससे व्यापारियों की कठिनाइयों को शासन तक पहुंचाकर निवारण किया जा सके। आयोग का प्रतिनिधित्व व्यापारी ही करें।

9. जीएसटी काउंसिल में व्यापारी का प्रतिनिधित्व भी आवश्यक है,  व्यापारी आयोग के अध्यक्ष को जीएसटी काउंसिल का सदस्य नियमित किए जाने की आवश्यकता है।

10. जीएसटी वेलकम टैक्स में पंजीकृत व्यापारियों को सरकारी विभागों में वरीयता जिला जाने हेतु किसान कार्ड की तर्ज पर व्यापारी कार्ड बनाए जाने की आवश्यकता है।

11. जीएसटी पंजीकृत व्यापारी को निजी व सरकारी अस्पतालों में केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों की तर्ज पर सीजीएचएस के रेटों पर उपचार कराने की सुविधा दी जाए इन सी जी एच एस की दरों पर उपचार के खर्च को व्यापारी खुद वहन करेगा और नगद भुगतान करेगा।

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