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Rampur : नैनीताल हाईवे पर धान की फसल सुखाने को मजबूर हुए किसान, बाढ ने बर्बाद कर दी किसानों की फसलें

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उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते नदियों में डैम से छोड़े गए पानी ने जिस तरह कहर ढाया है उससे किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और अब तक खेतों में पानी भरा है वही कुछ किसान अपनी धान की फसलें काटने के बाद उन्हें सुरक्षित स्थानों पर सुखाने के लिए मजबूर हैं कुछ इसी तरह जनपद रामपुर के किसान अपनी बची कुची धान की फसलें नैनीताल हाईवे पर सुखाने मे जुटे हैं|

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रामपुर उत्तराखंड के तराई में बसा हुआ जिला है यहां पर मुख्य रूप से धान और गेहूं की फसलें उगाई जाती हैं । जनपद में कोसी, रामगंगा, पीलाखार और भाखड़ा नदी जहां कुदरत के एक वरदान की तरह इन फसलों को सीचे जाने में अपनी अहम भूमिका अदा करती है । वही तेज बारिश में यह जब उफनती हैं तो अभिशाप बन कर किसानों को तबाह बर्बाद कर डालती हैं । तीन दिन पहले हुआ भी यही जब उत्तराखंड स्थित डैम से पानी छोड़े जाने के बाद इन नदियों ने उफन कर अपना कहर ढाया तो किसान अपनी फसलों के जलमग्न होने के चलते बर्बाद हो गये ।

रामपुर के नैनीताल नेशनल हाईवे पर कई किलोमीटर तक किसान अपनी बची कुची धान की फसल को सुखा रहे हैं ताकि इसे बेचकर उन्हें कुछ दाम मिल सके और वह फिर से बाढ़ से हुई तबाही को भूलकर एक नई सुबह की तलाश मे जुट जाये और पहले की तरह ही अपनी आने वाली फसलों की बुवाई कर सकें । तबाह हो चुके किसान प्रशासन से चाहते हैं कि जो इन फसलों की खरीदारी में मंडी समिति द्वारा अपनाये जा रहे नियमों कुछ छूट मिल सके, उन्हे फसलों की खरीदारी के समय नमी आदि के नियमो में कुछ छूट मिल सके । वही किसानों की इस समस्या के मद्देनजर प्रशासन की ओर से इस समस्या का हल निकाले जाने को लेकर मंथन भी शुरू हो चुका है ।

किसान लवप्रीत सिंह के मुताबिक हाईवे पर अपना धान सुखा रहे हैं गीला हो गया था बारिश के कारण और मोएस्चर बहुत ज्यादा है हम अपना हाईवे पर धान सुखा रहे हैं नैनीताल हाईवे पर यह धान इसलिए सुखाना पड़ रहा है बारिश के कारण हमारा धान सारा भीग गया और हमें हाईवे पर आकर धान सुखाना पड़ रहा है खेतों में कैसे सुखाते खेतों में अभी पानी बहुत आ रहा है खेत तो बहुत गिले हैं हां हाईवे बंद ही समझ लो हां धान थोड़ा बहुत ही सूखा है कल का और  दिन है अभी कल तक सूख जाएगा सरकार से हम यही मदद चाहते हैं हमें इसका मुआवजा मिले जो हमारा धान खराब हुआ है नहीं अभी हमें कोई मुआवजा नहीं मिला हैं | यह कल से डाला हुआ है धान,  रात भी यहीं रुके हम सुबह से भी यही है हां जी धान सूख रहा है|

किसान इशरत अली के मुताबिक धान सुका रहे हैं मजदूर आदमी है नैनीताल हाइवे पर धान सुखा रहे हैं यह धान भीग गया है बारिश से, हाईवे पर इसलिए सुकाया जा रहा है कुछ सही हो जाएगा तो अच्छा है नहीं तो यह धान बेकार हो जाएगा नहीं खेत में जगह नहीं है खेत में तो बाढ़ आई हुई है |

हरमनजोत सिंह के मुताबिक सबसे पहले तो सर मैं यह कहना चाहूंगा आपको इस एरिया में जो धान कटने वाला रह गया था उसमे 80 परसेंट धान डैमेज हो चुका है जिसको एफसीआई को छोड़कर जो प्राइवेट बायर है उसको रिजेक्ट कर देंगे किसान के पास शायद अल्टरनेटिव नहीं रह पाएगा उसके बावजूद अगर वह कुछ सुका रहे हैं दिन-रात उसको अगर सूखी जगह नहीं मिल रही है तो वे हाईवे पर सड़कों के किनारे आ रहे हैं और उसको सुखा रहे हैं और दो-तीन दिन सुखाने के बाद फिर वह लेकर आते हैं और कई सारे प्रोसीजर से निकलना पड़ता है वह एक टेंडर रुक पर रहते हैं पता नहीं इसका मॉयस्चर जो है जो है वह एक्सेप्टेबल होगा या नहीं होगा अगर कोई यहां पर आते हैं एक बार कहीं से चेक करवाया ठीक है मॉइचर जो 17 हैं अगर ट्रॉली में से कहीं से भी मोइचर थोड़ा सा भी बढ़ती आता है तो उसको बहुत सारी परेशानी का सामना करना पढ़ता हैं |

दोबारा फिर जाकर उसको चुकाना पड़ता है और उस पर लेबर कॉस्ट इतनी ज्यादा आ जाती है तो वह कहीं ना कहीं पर अनबिलेबल होता हैं। देखिए सर सरकार से तो हमेशा यही उम्मीद रहेगी इतना बड़ा नुकसान हो गया है किसान का तो कहीं ना कहीं पर ग्राउंड लेवल पर आकर वह देखें और किसानों को एसिस्ट करें अदर वाइज किसान हमेशा हर एक जो फसल होती है तो उसको कहीं ना कहीं पर उधार लेकर कर चुका होता है और एक ही फसल बर्बाद होने पर बिल्कुल खत्म होने के कगार पर आ चुका होता है और उसके बाद कोई अपॉर्चुनिटी नहीं रहती है देखी सर्वोच्च जो है बेशक 17 स्टोरेबल होता है लेकिन अगर किसान लेकर आए मॉइस्चर 22 हैं तो थोड़ा सा उसकी कटौती हो और धान कहीं ना कहीं पर तुल जाए और उसका जो प्रोसीजर है और वह कहीं ना कहीं मेकैनिकली गवर्नमेंट उसको इस तरीके से ड्रायर से निकालकर या कैसे भी उसको प्लान करें लेकिन किसान की जो प्रॉब्लम है वह कहीं दूर हो जाए |

एडीएम रामपुर वैभव शर्मा के मुताबिक जैसा कि आप लोग जानते हैं अभी कुछ दिनों में काफी अतिवृष्टि रही और साथ ही साथ रामनगर बैराज से जो पानी छोड़ा गया उसके कारण कोसी नदी रामगंगा के किनारे जो गांव थे जो हमारे अधिकारी हो चाहे एसडीएम हो तहसीलदार के स्तर से बताया गया है लगभग 180 गांव है जो बाढ़ के स्तर से प्रभावित हुए हैं लगभग जनपद के गांव में 1193 गांव लगभग काफी गांवों के खेतो में अभी भी पानी भरा हुआ है जहां तक क्षति का आकलन है टीमें लगभग 100 से अधिक जिलाधिकारी महोदय के आदेश पर लगाई गई हैं और प्रथम दृष्टि से लगता है किसानों का काफी धान की क्षति हुई है जिसमें सभी अधिकारियों का है एक हफ्ते में कार्य पूर्ण कर कर जो वास्तविक क्षति हुई है ऐसा कोई भी कृषक ना छूटे जिसको सरकार के द्वारा दिए जाने वाली l सहायता से वंचित रह सके अभी वर्तमान में सरकार का 17 परसेंट का पैमाना है और अगर सरकार इसमें कोई डूलाई देती है उसी मानव कृषि को से लिया जाएगा अगर सरकार के संज्ञान में क्योंकि बाढ़ की स्थिति है जनपद रामपुर की ही नहीं आसपास के जनपदों में नदियों में बहाव आया है पूर्वांचल से लेकर पश्चिमांचल तक सरकार की निगाह है इसमें है सरकार किसान हित में कोई निर्णय लेगी और मुझे उम्मीद है इसमें कोई निर्णय आएगा किसानों के हित में ही आएगा  ।

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