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अमंगल को मिटाने चतुर्स्वग्रही संयोग में पधारेंगे मंगल मूर्ति,

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ज्योतिषाचार्य- पंडित मुकेश मिश्रा,
बरेली। भगवान गणेश के लिए समर्पित वर्ष का सबसे पावन पर्व गणेश महोत्सव 31 अगस्त बुधवार से प्रारंभ हो रहा है और इस महोत्सव की धूम 9 सितंबर तक रहेगी। दरअसल यह पर्व वैसे 10 दिनों तक चलता है भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी में भगवान गणेश स्थापित किए जाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन इनका विसर्जन किया जाता है। क्योंकि भगवान गणेश का जन्म”इसी चतुर्थी में हुआ अनंत चतुर्दशी के दिन महाभारत लिखते लिखते भगवान गणेश के शरीर का ताप बढ़ गया था। फिर शीतलता के लिए जल में भगवान गणेश चले गए थे इसलिए इन्हें अनंत चतुर्दशी के दिन ही विसर्जन किया जाता है।

 

इस बार गणेश चतुर्थी यानी भगवान गणेश के स्थापना दिवस पर चार ग्रह अपनी ही राशि में विराजमान रहेंगे इस दिन गोचर में सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि, गुरु मीन राशि और शनि देव कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब गृह स्वराशि में विद्यमान होते हैं तो वह अत्यंत मंगलकारी हो जाते हैं।ऐसे में बना चतुर्स्वग्रही योग इस पर्व के महत्व को कई गुना अधिक बढ़ाएगा। ज्योतिष की दृष्टि से यह योग पूजा पाठ के लिए बहुत ही शुभ माने गए हैं। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा सभी अमंगलता को दूर करेगी और सफलता दायक साबित होगी। तात्पर्य है कि यश- वैभव, धन -संपदा और संपन्नता आदि की प्राप्ति बड़ी सहजता से होगी और भगवान गणेश का विशेष आशीर्वाद भक्तों पर खूब बरसेगा।

 

 

 

चतुर्थी में ना करें चंद्र दर्शन
शास्त्रों में गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्दशी भी कहते हैं। क्योंकि इसी दिन भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था। इस चतुर्थी के दिन आकाश में चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। चंद्रमा देखने से इस दिन कलंक लगता है। कहा जाता है यदि कोई व्यक्ति इस दिन चंद्रमा को देखता है तो उस पर चोरी का और समाज में उसका अपमान होता है।

गणेश चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान करने के पश्चात पूजा वाले स्थान पर जहां गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करनी है, उत्तर की तरफ मुख करके आसन पर बैठ जाएं। अब आप गणेश यंत्र की स्थापना करें। इसके बाद उन्हें विधि पूर्वक पूजा की सामग्री अर्पित करते हुए ‘ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। साथ ही भगवान गणेश को लड्डू का भोग लगाएं। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें। मान्यता है कि जो भक्त गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की सच्चे मन से आराधना करता है। उस पर भगवान गणेश की विशेष कृपा बरसती है और उसके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है।

स्थापना पूजन के शुभ चौघड़िया मुहूर्त

लाभ, अमृत का चौघड़िया प्रातः 5:46 से 8:56 तक

शुभ का चौघड़िया प्रातः 10:31 से मध्यान्ह 12:06 तक
चर, लाभ का चौघड़िया मध्यान्ह 3:17 से शाम 6:27 तक

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