बरेली। देश को आजाद करने के लिए बलिदानी परंपराओं का निर्वाह करते हुए नौजवानों ने फांसी के फंदे को चूम लिया था ,इस प्रकार 25-26 जून 1975 में लगे आपातकाल के खिलाफ बहुत लोगों ने संघर्ष किया जिसके परिणाम स्वरूप 21 मार्च 1977 को तानाशाही से देश को आजादी मिली थी। यह कहना है लोकतंत्र सेनानी डॉक्टर वीरेंद्र कुमार । वह अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आयोजित गोष्ठी में विचार व्यक्त कर रहे थे।
जिसमें लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को सम्मानित किया गया । इस अवसर पर विनोद कुमार गुप्ता, सुरेश बाबू मिश्रा ,सुंदरलाल गुप्ता ,वीरेंद्र कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये । संचालन निरुपमा अग्रवाल ने किया ,अध्यक्षता डॉ वीरेंद्र कुमार ने की। इस मौके पर गुरमेल सिंह ,राजेंद्र पाल सिंह, सुमंत महेश्वरी ,कमल सक्सेना ,उमेश गुप्ता ,बृजेश कुमार शर्मा ,शाहिद शहर के साथ कई गणमान्य नागरिक भी मौजूद रहे।
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