बरेली। गणतंत्र दिवस के साथ-साथ आज बसंत पंचमी यानी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा बड़ी धूमधाम से की जाएगी।इस दिन ज्ञान, विद्या और कला की देवी माता सरस्वती की पूजा-अराधना की
जाती है। विद्यार्थी, साहित्य और कला क्षेत्र से जुड़े लोगों को बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक की गई पूजा कभी विफल नहीं होती है और मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
बसंतोत्सव नवीन ऊर्जा देने वाला उत्सव है। इस दिन से शिशिर ऋतु के असहनीय सर्दी से मुक्ति मिलने का मौसम आरंभ हो जाता है। प्रकृति में परिवर्तन आता है और जो पेड़-पौधे शिशिर ऋतु में अपने पत्ते खो चुके थे वे पुनः नव-नव पल्लव और कलियों से युक्त हो जाते हैं।
बसंतोत्सव माघ शुक्ल पंचमी से आरंभ होकर होलिका दहन तक चलता है। कहा जाता है कि वसंत पंचमी के दिन जैसा मौसम होता है, होली तक ठीक ऐसा ही मौसम रहता है।
-बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के मुताबिक, बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी। वहीं पूजा के लिए 26 जनवरी सुबह 07:12 मिनट से लेकर दोपहर 12:34 मिनट तक का समय शुभ रहेगा।पूजा के लिए कुल अवधि 5 घंटे तक होगी।
-ऐसे करें सरस्वती पूजा
पूजा के लिए सुबह उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें। फिर मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें। पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें। मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें। विद्यार्थी चाहें तो इस दिन मां सरस्वती के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।
पूजा में मां सरस्वती के इस श्लोक से मन से ध्यान करें। इसके पश्चात ’ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:’ का जाप करें और इसी लघु मंत्र को नियमित रूप से विद्यार्थी वर्ग प्रतिदिन मां सरस्वती का ध्यान करें। इस मंत्र के जाप से विद्या, बुद्धि, विवेक बढ़ता है।
