मदनी का बयान मज़हबे इस्लाम के मूल सिद्धांत अकीदा-ए-तौहीद के विपरीत : मुफ्ती सलीम।

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बरेली। जमीअत के दिल्ली अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी द्वारा कल दिए बयान पर आला हज़रत के मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम से सख्त प्रतिक्रिया सामने आई है। दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया अरशद मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जामिया रज़विया मंज़र-ए-इस्लाम के वरिष्ठ शिक्षक मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी ने कहा की मिस्टर मदनी का बयान मज़हबे इस्लाम के मूल सिद्धांत अक़ीदा-ए – तौहीद के विपरीत और अल्लाह की शान में सख्त गुस्ताखी है। जिसका देवबंदी विचारधारा के सबसे बडे केन्द्र दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग को तुरंत संज्ञान लेकर उनके विरुद्ध देवबंदी मसलक के अनुसार विभागीय कार्यवाही करना चाहिए। वर्ना अवाम में यहीं मैसेज और संदेश जाएगा कि देवबंदी मसलक का भी अल्लाह के संबंध में यही अकीदा है जो मिस्टर मदनी ने अपनी तक़रीर में बयान किया। अल्लाह और ओम को एक कहना मजहबे इस्लाम के खिलाफ है।
इस्लामी शरीअत के मुताबिक अल्लाह तआला को हम केवल उन्हीं नामों से पुकार सकते हैं कि जिनका विवरण कुरान और हदीस  में हो या जिन नामों को मजहबे इस्लाम के इमामों,बुजुर्गों और सहाबा आदि ने कि जिनका सर्वसम्मति से किया गया उल्लेख भी शरीअत का हिस्सा माना जाता है। अल्लाह  के लिए ओम शब्द का प्रयोग ना तो कुरान में हुआ और ना ही हदीस में और ना हमारे बुजुर्गो ने इसके इस्तेमाल की  इजाज़त दी। फिर अल्लाह की तुलना उन्होने हवा से की कि जो हर जगह है। जबकि हवा अल्लाह की पैदा की हुई मखलूक़ है।

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उन्होने हज़रते आदम को मनु कहा जबकि हजरते आदम मजहबे इस्लाम के अनुसार पहले इंसान और पहले नबी हैं। कुरान व हदीस और उम्मते इस्लामिया ने हज़रते आदम की जो खूबिया बताई हैं, हिन्दू मज़हब में मनु के लिए वह सब चीज़े नहीं मानी जातीं। क्योकि मनु को हिन्दू मज़हब में पूजनीय हस्ती माना जाता है और इस्लाम में हजरते आदम हों कि कोई और इसमें अल्लाह के सिवा किसी को पूजनीय नही माना जाता। एक अल्लाह के सिवा किसी और को पूजने की इस्लाम इजाज़त नही देता। इस लिए मिस्टर मदनी का यह बयान अवाम को गुमराह करने वाला भी है और मुल्के हिन्दुस्तान में हिन्दू मुस्लिम नफरत को बढावा देने वाला भी है ।

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Author: newsvoxindia

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