सिद्धि योग में गंगा दशहरा रहेगा अत्यंत मंगलकारी, पढ़िए यह पूरी खबर

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बरेली। गंगा दशहरा पुण्य सलिला गंगा का हिमालय से उत्पत्ति का दिवस है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान से दस प्रकार के पापों का विनाश होता है, इसलिए इस दिन को ‘गंगा दशहरा’ नाम दिया गया। इस बार गंगा दशहरा 30 मई मंगलवार को मनाया जाएगा। मंगलवार का दिन होने से इस बार इस पर्व का महत्व बढ़ गया है। साथ ही इस दिन सिद्धि योग भी व्याप्त रहेगा। जिस कारण इस दिन गंगा स्नान दान पुण्य का फल कई गुना अधिक प्राप्त होगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार सिद्ध योग में भगवान विष्णु की पूजा और मां गंगा की आराधना समस्त दुखों का अंत करेगी। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार तीव्रता से बढ़ेगा। मान्यता यह भी है कि इस दिन पूजा-पाठ जब तक करने से मोक्ष की प्राप्ति भी सरलता से होती है।

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*गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त*

ज्‍येष्ठ मास के शुक्‍ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर होगा और इसका समापन 30 मई दिन मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर होगा। उदया तिथि की मान्‍यता के अनुसार गंगा दशहरा 30 मई को मनाया जाएगा।

 

गंगा मैया, सोशल मीडिया के सौजन्य से,

*गंगा दशहरा का महत्‍व*
गंगा दशहरा को लेकर यह धार्मिक मान्‍यता है कि इस दिन ही मां गंगा स्‍वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगा दशहरा पर पवित्र गंगा नदी में स्‍नान जरूर करना चाहिए। अगर आपके लिए ऐसा कर पाना संभव न हो तो आपको घर पर ही स्‍नान करते हुए पानी में गंगाजल मिलाकर स्‍नान कर लेना चाहिए। इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है।

*गंगा दशहरा पर इन वस्‍तुओं का करें दान*
गंगा दशहरे के पर्व पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करने का विशेष महत्‍व होता है। ऐसा कहा जाता है कि गंगा दशहरा पर दान की जाने वाली वस्‍तुओं की संख्या 10 होनी चाहिए। इस दिन आप 10 फल, 10 पंखे, 10 सुराही, 10 छाते या फिर 10 हिस्‍से अन्‍न का दान कर सकते हैं। गंगा दशहरे पर कुछ लोग अपने घर में हवन पूजन करवाते हैं। कहते हैं इस दिन हवन करने से आपके घर से हर प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा दूर होती है।

 

*बरेली से 8 किलोमीटर दूर रामगंगा का महत्व*
नाथ नगरी के दक्षिण भाग में स्थित रामगंगा कभी बरेली शहर के मध्य में बहती थी। शहर के मध्य गंगापुर का नाम भी इसी कारण पड़ा बनखंडी नाथ का तालाब आज भी इसी साक्ष्य की गवाही देता है। वर्तमान में रामगंगा बरेली से आठ किलोमीटर दूर दक्षिण में पश्चिम से आकर के पूरब की ओर बहती है। स्कंद पुराण के अनुसार इन्हें रथ वाहिनी भी कहा जाता है। यहां रामगंगा का महत्व इतना ज्यादा है कि दूरदराज से लोग आते हैं। यहां स्नान दान कर पुण्य कमाते हैं। कई लोगों की मान्यता यह भी है कि यहां पर पिंडदान करने से भी पितरों को सद्गति प्राप्त होती है ।यहां पर विशाल मेला आए दिन लगता रहता है। जो चौबारी मेला के नाम से पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। इस मेले में जानवरों का विशाल नकासा भी पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। घोड़ों की बैलो सहित आदि जानवरों की दौड़ यहां पर कराई जाती है। जीतने पर विशेष राशि की इनाम के तौर पर दी जाती है। गंगा दशहरा का पावन पर्व 10 पापों से की मुक्ति के लिए जाना जाता है इसलिए गंगा दशहरा के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

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Author: newsvoxindia

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