आचार्य सत्यम शुक्ला
भीमसेनी निर्जला एकादशी व्रत का इतना विशेष महत्व क्यों है, क्या है ।इस व्रत के पीछे की कथा आइए हम सभी लोग जानते हैं।बात उस समय की है जब पांडव पांचों भाई युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल सहदेव यह पांडव पांच भाई एक दिन व्यास जी महाराज के पास गए और जाकर के उनसे कहने लगे हमें आपसे कुछ शिकायत करनी है। व्यास जी महाराज ने कहा किसकी शिकायत करनी है युधिष्ठिर महाराज ने कहा कि हमें भीम की शिकायत करनी है यह कभी कोई व्रत नहीं करते हैं आप समझाइए हो सकता है आपकी बात यह मान जाए व्यास मुनि ने भीम को समझाते हुए कहा कोई भी व्यक्ति हो उसे महीने में दो व्रत करना चाहिए। वह दो व्रत है एकादशी का व्रत एकादशी का व्रत हर एक व्यक्ति को करना ही चाहिए एकादशी का व्रत करने से जीवन के सभी पाप-ताप संताप नष्ट हो जाते हैं।
भगवत प्राप्ति शीघ्र हो जाती है भगवान उसके साथ सदैव रहने लगते हैं ऐसी महिमा है एकादशी व्रत की आप महीने में दो एकादशी का व्रत जरूर करें ।भीम ने कहा महाराज हमें इतनी भूख लगती है कि हम व्रत कर ही नहीं सकते तब श्री व्यास मुनि ने कहा हे भीम तुम ऐसा करो साल भर की एकादशी का व्रत नहीं कर सकते तो मत करो वर्ष में एक बार तुम व्रत कर लो ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत उस दिन आप ना जल ग्रहण करेंगे ना अन्न ग्रहण करेंगे अगर इस विधान से आप इस व्रत को करेंगे तो आपके शक्ल मनोरथ पूर्ण हो जाएंगे ।
भीम ने कहा महाराज कोशिश करेंगे और भीम ने ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत किया निराहार रहकर निर्जला रहे करके व्रत किया और तभी से इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी व्रत कहा जाता है। भीम के शक्ल मनोरथ पूर्ण हुए भीम ने महाभारत जैसा महायुद्ध जीत लिया इस एकादशी का व्रत जो भक्त करते हैं उनके जीवन में कभी किसी प्रकार का कोई दुख ही नहीं रहता। इस व्रत में शुद्धता की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है मन तन वाणी से शुद्ध होकर के श्री लड्डू गोपाल जी का दिव्य पूजन अभिषेक करें ।उनका दिव्य श्रृंगार करें उनको दिव्य भोग लगाए और भगवान के नाम का जाप करें गंगा स्नान करें लोगों को दान करें ऐसा करने से यह दिव्य महाव्रत पूर्ण होता है। और भगवत कृपा शीघ्र प्राप्त होती है भगवत धाम की प्राप्ति हो जाती है।
