बरेली।
मेले में मिट्टी के पारंपरिक दीये, रंग-बिरंगी मोमबत्तियां, कृत्रिम आभूषण, हथकरघा वस्त्र, सजावटी सामान, पूजा सामग्री के साथ-साथ अचार, मुरब्बा और मसालों जैसी स्वादिष्ट घरेलू वस्तुएं प्रदर्शित की गईं। इन सभी उत्पादों को दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्रों, स्वयं सहायता समूहों और गैर सरकारी संगठनों की सहायता से तैयार किया गया है।
कार्यक्रम का उद्घाटन उपनिदेशक संगीता सिंह ने किया। इस अवसर पर जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी चमन सिंह, प्रधानाचार्य डॉ. बलवंत सिंह, अधीक्षक मुनेश बंसल, नवीन जौहरी, समन्वयक श्रवण कुमार, और आदर्श जिला पुनर्वास केंद्र के अध्यक्ष अशोक कुमार श्रीमाली समेत कई अधिकारी व समाजसेवी उपस्थित रहे।
जनसेवा टीम के अध्यक्ष एवं समाजसेवी पम्मी ख़ाँ वारसी ने कहा —
“यह दीपावली मेला ‘वोकल फॉर लोकल’ का सशक्त संदेश है। दिव्यांगजन अपने हुनर से न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि समाज को संवेदना और प्रेरणा का संदेश दे रहे हैं।”
मेले में जीवनधारा शोध एवं पुनर्वास केंद्र, संतोषी वेलफेयर सोसाइटी, उपासना जनकल्याण समिति, सिद्दीकी वेलफेयर सोसाइटी, प्रभात ग्रामोद्योग सेवा संस्थान सहित कई सामाजिक संस्थाओं ने अपने स्टॉल लगाए।
मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। दिव्यांगजनों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की सराहना हर किसी ने की। दीपोत्सव से पहले आयोजित इस मेले ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया कि सच्चा उत्सव तभी होता है, जब उसमें सबकी भागीदारी और मुस्कान शामिल हो।
