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धर्मशहर

आज मध्य रात्रि के घनघोर अंधेरे को चीरकर प्रकट होंगे घनश्याम,

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा ,

 

बाजार में बुल्डोजर पर ठाकुर जी के खिलौने की जमकर हो रही है बिक्री,

पहली बार दिखे बुल्डोजर पर भगवान कृष्ण,

 

संपूर्ण सृष्टि के पालनहार, जगतपति भगवान नारायण द्वापर युग के काल में भाद्रपद कृष्ण पक्ष ,अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र के संयोग में कृष्ण कन्हैया के रूप में अवतार लिया था। तब से लेकर आज तक सभी सनातन प्रेमी भगवान कृष्ण के अवतरण दिवस को बड़ी धूम-धाम से मनाते चले आ रहे हैं। दरअसल भगवान के अवतरण दिवस की तिथि आज शुक्रवार में मनाई जाएगी क्योंकि आज भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी है। आज मध्यरात्रि में जगतपति जगदीश्वर कृष्ण कन्हैया अंधेरे को चीर कर मध्य रात्रि में प्रकट होगे। और सभी कृष्ण भक्तों इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाएंगे।

 

 

 

बुलडोजर पर बैठे कन्हैया का संदेश

कृष्ण कन्हैया ने प्रकट होकर अधर्म का विनाश किया और धर्म की स्थापना की। वर्तमान समय में सरकार ने बुलडोजर अभियान चलाया है। जो अपराधियों द्वारा किया गया अवैध निर्माण या अतिक्रमण को मिटाने का प्रतीक है। और हमारे कृष्ण कन्हैया भी अधर्म का अतिक्रमण नहीं होने देते और अवैधता को मिटाते हैं। उसी की तर्ज पर आज बाजार में बुलडोजर पर बैठे हुए कृष्ण भगवान खूब चर्चा में है। लोगों को खूब पसंद भी आ रहे हैं जमकर खरीदारी की जा रही है।

 

 

 

जन्माष्टमी का व्रत महोत्सव मनुष्य के अंतस में उजास जागृत करता है।कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का महत्व सर्वव्यापक है, भगवत गीता में एक कथन बहुत ही प्रभावशाली है। -जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूँगा”। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो एक दिन उसका अंत अवश्य होता है। जन्माष्टमी के पर्व से गीता के इस कथन का बोध मनुष्य को होता है। और बुलडोजर बैठे कृष्ण भगवान शायद इसी बात की प्रेरणा दे रहे हैं। कि जबरदस्ती का अतिक्रमण अवैधता सहन नहीं करेंगे और अधर्म को मिटाने का अभियान जारी रहेगा।इसके अतिरिक्त गीता के इस पर्व के माध्यम से निरंतर काल तक सनातन धर्म की आने वाली पीढ़ी अपने आराध्य के गुणों को जान सकेंगी और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगी। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हमारे सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है।

 

 

युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संसकृति से अवगत कराने के लिए, इन लोकप्रिय तीज-त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है। इस प्रकार के आध्यात्मिक पर्व सनातन धर्म के आत्मा के रूप में देखे जाते हैं। हम सभी को इन पर्वों में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जानना चाहिए।भाद्रपद की अष्टमी वर्ष की सबसे ज्यादा अंधेरी रात मानी जाती है। भगवान अंधेरे को चीरकर समस्त संसार को प्रकाश देने के लिए प्रकट हुए।हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव वाले दिन रखे जाने वाले व्रत की अपार महिमा बताई गई है, जिसे विधि-विधान से करने पर व्यक्ति की सभी कामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं।

 

 

 

मान्यता है कि जन्माष्टमी के व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे जीवन से जुड़े सभी सुख प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह व्रत व्यक्ति को अकाल मृत्यु और पाप कर्मों से बचाते हुए मोक्ष प्रदान करता है। जन्माष्टमी का व्रत करने पर व्यक्ति को हजार एकादशी के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में जो कुछ भी प्रसाद अर्पित करें। उसमें तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का विधि-विधान से जप करें। मान्यता है कि जन्माष्टमी की रात को भक्ति-भाव के साथ श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ और भजन का कीर्तन करने पर भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बरसती है।

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