धर्म

तीन दशक बाद दुर्लभ संयोगो में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि

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18 फरवरी को शाम 8:01 से लगेगा चतुर्दशी का मान,

 

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा,

बरेली। देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने के लिए वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण पर्व महाशिवरात्रि इस बार 18 फरवरी शनिवार के दिन मनाया जाएगा। ‌
महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि का आरंम्भ रात 08 बजकर 03 मिनट पर होगा और इसका अंत 19 फरवरी को शाम 04 बजकर 19 मिनट पर होगा। वहीं महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है। इसलिए महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी। वैसे तो प्रत्येक माह में शिवरात्रि होती है। लेकिन फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस बार की यह महाशिवरात्रि तीन दशक बाद कई दुर्लभ संयोगो के साथ आ रही है जिस कारण इसका महत्व हजारों गुना ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए भूत भावन भगवान शिव के साथ उनकी शक्ति मां पार्वती की भी कृपा भक्तों पर खूब बरसेगी। महाशिवरात्रि का अर्थ महा कल्याण करने वाली रात्रि। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार
भगवती पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान सदाशिव सबसे पहले शिवलिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे।इसी दिन ही भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग प्रकाट्य हुआ था। उस दिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इस वजह से हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को अत्यन्त महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।

 

 

यह रहेंगे कल्याणकारी संयोग
इस साल महाशिवरात्रि पर न्याय देव शनि कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। दूसरा, 13 फरवरी को कुंभ राशि में पिता-पुत्र सूर्य और शनि की युति भी बनने वाली है। इसके अलावा, सुखों के प्रदाता शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे। इस दिन प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है।

*महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा के मुहूर्त*

-प्रथम पहर पूजा- शाम 06 बजकर 41 मिनट से रात 09 बजकर 47 मिनट तक

-द्वितीय पहर पूजा- रात 09 बजकर 47 मिनट से रात 12 बजकर 53 मिनट तक

-तृतीय पहर पूजा- रात 12 बजकर 53 मिनट से 03 बजकर 58 मिनट तक

-चतुर्थ पहर पूजा- 03 बजकर 58 मिनट से सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक

 

ऐसे करें शिवजी को प्रसन्न
महाशिवरात्रि के अवसर पर यदि आप भी व्रत रखना चाह रहे हैं। तो, इस दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिव मंदिर में जाकर गन्ने का रस, कच्चा दूध और घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके अलावा भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा अर्पित करें। शिव चालीसा, शिव स्तुति शिव महिमा स्तोत्र, पंचाक्षर स्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र, रुद्राष्टकम, का पाठ करें। हो सके तो महामृत्युंजय मंत्र एवं पंचाक्षर मंत्र का जप करें। भगवान शिव के सम्मुख राम राम का जप करने से भी भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं। समापन के समय शिव आरती कर अन्य लोगों में प्रसाद वितरित करें।

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