भमोरा। आंवला क्षेत्र के अंतर्गत चांदपुर में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस कथावाचक आचार्य मुकेश मिश्रा ने भगवान को भाव का भूखा बताते हुए कहा कि भाव के वशीभूत होकर योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के राज महल में जाने से इंकार कर महात्मा विदुर के घर में भोजन करना ज्यादा उचित समझा, उन्होंने कहा कि अर्जुन ने भाव के जरिए ही योगेश्वर श्री कृष्ण से अपना हक लिया, और उन्हें अपना साथी बना दिया, उन्होंने कहा कि भगवान न किसी दबाव में काम करते हैं ना किसी प्रभाव में भगवान सिर्फ भाव में काम करते हैं।
आचार्य ने कहा कि कामना रहित होकर प्रत्येक कर्म को योगेश्वर श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित करना ही श्रेष्ठ है। क्योंकि कामना भक्त और भगवान के बीच में सबसे बड़ी बाधा होती है, आज कथा के सप्तम दिवस पर रुकमणी सत्यभामा आदि प्रसंगों के अलावा बाणासुर युद्ध, अनिरुद्ध और उषा का विवाह, जरासंध वध, राजसूय यज्ञ, अग्रपूजा, शिशुपाल वध का बहुत ही मार्मिक वर्णन किया।
इसके अलावा उन्होंने राजा परीक्षित द्वारा शुकदेव मुनि से सुदामाचरित्र सुनाए जाने की कथा का सुंदर वर्णन किया, जो भगवान का भक्त भी है और मित्र भी। इधर श्रीमद् भागवत कथा को लेकर श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह दिखाई दे रहा था, बड़ी संख्या में लोग कथा पंडाल में पहुंचकर श्रीमद् भागवत कथा का अमृत पान कर रहे थे।
अंत में फूलों की होली खेली गई धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो, भारत माता की जय के उद्घोष के साथ कथा को विश्राम दिया गया। कथा व्यास को श्रद्धालुओं ने भावविभोर होकर विदा किया। व्यासपीठ एवं व्यास जी का पूजन मुख्य अजमान प्रवीण सक्सेना ने किया। आचार्य विकास उपाध्याय, अवनीश शास्त्री, ज्ञानदीप शास्त्री ने वेद मंत्रों के साथ पूजन संपन्न कराया। इस मौके पर योगेश सक्सेना, रामगिरीश सक्सेना, राजेश यादव निर्भय मिश्रा, सोनू सक्सेना, राकेश सक्सेना, मोनू, वीरेश, लोकेश, अखिलेश आदि का विशेष सहयोग रहा