मीरगंज : बुधवार को मातमी पर्व मोहर्रम बड़ी अकीदत के साथ मनाया गया। मीरगंज कस्बे में जगह-जगह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बुधवार को मुस्लिम समाज के लोगों ने अपने-अपने घरों में सुबह से कुरान खानी फातिहा कर मातनी पर्व मनाया।
गौरतलब है कि मोहर्रम महीने की 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा कहा जाता है। इसी दिन इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। मुहर्रम का यह सबसे अहम दिन माना गया है। इसे गम के महीने के तौर पर मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मुहर्रम है।
मुसलमानों के लिए ये सबसे पवित्र महीना होता है। इस महीने से इस्लाम का नया साल शुरू हो जाता है। इन दिन को इस्लामिक कैलेंडर में बेहद अहम माना गया है क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी।
साथ ताजिया का जुलूस दियोरिया अब्दुल्लागंज, हल्दी खुर्द सहित मीरगंज कस्बे के विभिन्न स्थानों से चलकर थाना चौहराया पहुंचा। जहां जियारत के लिए ताजिया रखी गई।