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सावित्री व्रत, शनि जयंती आज, ऐसे करें वट वृक्ष की पूजा और शनिदेव को प्रसन

 

बरगद की पूजा से ब्रह्मा, विष्णु ,महेश तीनों देव होते हैं शीघ्र प्रसन्न,

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बरेली- पति की लंबी आयु के लिए रखे जाने वाला सुहागिन महिलाओं का बट सावित्री व्रत आज शुक्रवार में मनाया जाएगा‌ इस बार यह पर्व कई शुभ संयोगों को लेकर आया है। जिस कारण इस त्योहार का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। दरअसल, यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या में रखा जाता है। इसी दिन शनि देव की जयंती भी मनाई जाती है। इस बार बट सावित्री व्रत और शनि जयंती बेहद खास मानी जा रही है। क्योंकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक शोभन योग का निर्माण हो रहा है वही,चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में विराजमान होंगे, इससे गजकेसरी योग का निर्माण होगा।शनि अपनी कुंभ राशि में विराजमान होकर शशयोग का निर्माण करेंगे। यह सुयोग दांपत्य जीवन में मिठास सुख ऐश्वर्य में वृद्धि करेंगे वही इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनिदेव की कृपा भक्तों पर भी खूब बरसेगी।

 

*इस तरह करें पूजन*
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। बट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति को रखें। इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें। इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें। लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांधे। इस दिन व्रत कथा भी सुने इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

 

*शनि और पितृ दोष से पीड़ित जातकों के लिए यह दिन विशेष*
शास्त्रों के अनुसार बरगद के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का वास माना जाता है। जिन जातक की कुंडली में शनि दोष है। शनि की महादशा, ढैया, साढ़ेसाती चल रही है। ऐसे जातक इस दिन शनि देव की विशेष पूजा- अर्चना करके दोष मुक्त हो सकते हैं‌। इस दिन की गई पूजा अर्चना दान पुण्य करने से शनिदेव प्रसन्न होकर के यश वैभव सुख संपदा की वृद्धि की तीव्रता से करेंगे। इस दिन गंगा स्नान पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति सरलता से मिलेगी।

 

*इस तरह पूजन से शनिदेव शीघ्र होंगे प्रसन्न*
शनि भगवान की विशेष कृपा और सभी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा-उपासना का विशेष महत्व होता है। शनि जयंती के मौके पर सुबह-सुबह अपने घर के आसपास स्थिति किसी शनि मंदिर जाकर भगवान शनिदेव की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए सरसों के तेल से अभिषेक करें। शनिदेव को काले तिल, उड़द की दाल,नीले फूल और नीले वस्त्र अर्पित करते हुए तेल का दीपक जलाएं और ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करते रहें। इसके बाद शनिदेव की आरती करे और अंत में जरूरतमंदों को चीजों का दान करें।

 

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