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वृद्धि योग में गज पर सवार होकर आएंगी देवी,19 जून से 27 जून तक चलेगा गुप्त नवरात्रि का पर्व

माता के व्रत पूजन से खुशहाली, समृद्धि, संपन्नता का मिलेगा आशीर्वाद,

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बरेली। आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 19 जून से 27 जून तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाएगी। इस बार गुप्त नवरात्रि की शुरुआत वृद्धि योग में हो रही है साथ ही नवरात्र प्रारंभ सोमवार को होने के कारण मां भगवती गज पर सवार होकर आएगी ज्योतिष के अनुसार गज पर सवार होकर जमा आती है तो भक्तों पर अपरंपार कृपा बरसाती है और अपने भक्तों के सभी मनुष्यों को पूर्ण करते हैं और वृद्धि योग किसी भी पूजा पाठ का फल शीघ्र देने वाला होता है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग का सर्वाधिक महत्व माना जाता है। इस योग में की गई साधना से यश- वैभव, धन- संपदा की प्राप्ति बड़ी सरलता से होती है। तात्पर्य यह है कि, इस बार माता के व्रत पूजन से खुशहाली समृद्धि संपन्नता का विशेष आशीर्वाद भक्तों को मिलेगा। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा को गुप्त रखा जाता है। इससे पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है।

 

 

गुप्त नवरात्रों का महत्व बासान्तिक व शारदीय नवरात्रों से ज्यादा होता है। गुप्त नवरात्रि को खासतौर से तंत्र -मंत्र और साधना आदि के लिए बहुत ही विशेष माना गया है। इसमें व्यक्ति ध्यान, साधना करके दुर्लभ शक्तियों को प्राप्ति करते हैं। क्योंकि इस समय की साधना शीघ्र फलदायक होती है। दरअसल, इन दिनों आदिशक्ति की दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है। मां दुर्गा की यह दस महाविद्या साधक को कार्य सिद्ध प्रदान करती है। गुप्त नवरात्रि में मां की महाविद्याओं का पूजन और मंत्र जप करके उनकी कृपा को सरलता से प्राप्त कर सकते किया जा सकता है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्रि में माता के शक्ति पूजा एवं आराधना अधिक कठिन होती है। इस पूजन से अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है एवं संध्या के समय देवी की पूजा अर्चना कर का विशेष महत्व होता है। 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करना और अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

 

 

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा

*कलश स्थापना मुहूर्त*
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की कलश स्थापना 19 जून को सुबह और दोपहर में की जा सकती है।सुबह में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक है. यह 2 घंटे से कुछ अधिक का समय है. इसमें अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त भी सुबह 05:23 बजे से सुबह 07:08 बजे तक है. यह मुहूर्त कलश स्थापना के लिए उत्तम है।

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