बरेली । देश में वृहस्पतिवार को चांद दिखने के बाद रमज़ान का मुबारक महीना शुक्रवार से शुरू हो गया। रमजान का महीना रहमतो और बरकतो का महीना बताया जाता है। इस महीने में जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। रमजान माह में 10-10 दिन के तीन अशरे होते हैं जिनमें पहला अशरा रहमत का दूसरा असरा मगफिरत का और तीसरा असरा जहन्नुम से निजात का होता है। रमजान माह पर प्रकाश डालते हुए शिकारपुर के रहने वाले मौलना जुनैद रजा ने बताया कि प्यारे आका ने इरशाद फरमाया अल्लाह तआला का इरशाद है कि रोज़ा खास मेरे लिए है और इसका बदला मैं खुद दूंगा । रोज़ेदारों के गुनाह धुल जाते है। याद रखे रोज़ा रोज़ेदारों को दोज़ख की आग से बचने के लिए एक ढाल है। आका ए करीम ने इरशाद फरमाया मेरी उम्मत की पहचान रोजा है। इसलिए हर उम्मती को रोज़ा ज़रूर रखना चाहिए हां अगर कोई बीमार है तो वो ये फ़र्ज़ रोज़े बाद मे भी रख सकता है।
हदीस पाक में एक जगह आया कि दरोग ए दोजख आग से कहेगा ऐ आग तू इस शख्स को क्यों नहीं पकड़ती तब आग कहेगी है मैं उसे क्यों कर पकड़ सकती हूं जब के उसके मुंह से रोजे की बू आती है मालिक उस शख्स से दरखास्त करेगा के किया तू रोजदार मरा था वो कहेगा हां उसके बाद उसको जन्नत में नीचे में जाने का हुकुम होगा रोजादार यारों के वास्ते कयामत के दिन सत्रह दस्तरखान चुने जाएंगे वह लोग रोज़ेदारों होंगे उस पर बैठकर खाना खाएंगे और सब लोग अभी हिसाब ही में फंसे होंगे उस पर वह लोग कहेंगे कि यह कैसे लोग हैं कि खाना खाएंगे और सब लोग अभी हिसाब ही में फंसे होंगे वो लोग कहेंगे के ये केसे लोग है खाना खा पी रहे है और हम अभी तक हिसाब ही में फंसे हैं तो जवाब मिलेगा यह लोग दुनिया में रोजा रखते थे उसका यह बदला है और तुम दुनिया में रोजे से भागते थे जिसके सबब आप सब भी परेशान हो इसके अलावा उन्होंने रमजान की कदर करने की अपील की।