बरेली।कृष्ण जन्माष्टमी के पन्द्रह दिनों बाद राधा अष्टमी के पर्व का भी खासा महत्व है। दरअसल भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है। वही भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा का जन्म उत्सव मनाया जाता है।राधा अष्टमी का व्रत करने से जीवन में प्रेम, सुख-समृद्धि, शांति का वास होता है। मान्यता है कि जन्माष्टमी की पूजा का फल तभी पूरा मिलता है जब राधाष्टमी का व्रत और पूजन भी किया जाए।
राधाअष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जैसा ही उत्साह रहता है। इस बार राधाष्टमी तिथि का प्रारंभ शनिवार 03 सितंबर को दोपहर 12:25 बजे हो जाएगा, जो रविवार 04 सितंबर की सुबह 10:40 बजे तक बना रहेगा। त्योहारों पर उदया तिथि की विशेष प्रधानता होती है। जिस कारण यह पर्व 4 सितंबर रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा।राधा अष्टमी पर राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा-आराधना करने से दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है। इस बार तो राधा अष्टमी बेहद सुखद संयोग में आई है। जिस कारण इस त्यौहार का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य सिंह राशि में बुध कन्या राशि में गुरु मीन राशि में और शनि मकर राशि में विराजमान रहेंगे। ग्रहों की यह स्थिति अत्यंत मंगलकारी साबित होगी। बता दें यह चार ग्रह स्वग्रही होने के कारण पूजा पाठ का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाएगा। राधा कृष्ण की विशेष कृपा भक्तों पर इस बार खूब बरसेगी।