धर्म

3 जुलाई को शुभ संयोगों में मनाया जाएगा गुरु पर्व,

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*ब्रह्म योग में गुरु पूर्णिमा, पूजन का मिलेगा हजारों गुना ज्यादा फल*
-3 जुलाई को शुभ संयोगों में मनाया जाएगा गुरु पर्व

-गुरु और पुस्तक के पूजन से भरेगी विद्यार्थियों को जीवन में अपार ऊर्जा,

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा

बरेली। हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि सभी देवों के प्रति विशेष, श्रद्धा, आस्था, विश्वास, निर्मल भावना, दैहिक-मानसिक रूप से अपने देवरूप गुरु के दर्शन, माता-पिता की पूजा, वंदना, प्रणाम, और समर्पित होने के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन खास होता है। साथ ही इस दिन गंगा -स्नान और दान- पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। इस बार गुरु पूर्णिमा पर ब्रह्म योग के साथ कई शुभ सुयोगों का निर्माण हो रहा है। जिस कारण इस पूर्णिमा का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। अतः इस दिन पूजन- अर्चन करने से माता-पिता, गुरु के साथ त्रिदेवों की कृपा भक्तों पर खूब बरसेगी। ज्ञान अर्जित करने वाली विद्यार्थियों के लिए पर्व किसी वरदान से कम नहीं है। इस दिन विद्यार्थियों के लिए गुरु के साथ पुस्तकों की पूजा सकारात्मक ऊर्जा का संचार भरेगी।

 

*गुरु पूर्णिमा का पौराणिक महत्व*
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास पूर्णिमा के दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ। जिन्होंने वेद, पुराण महाभारत सहित अनेकानेक ग्रंथ लिखे। अपने अथाह ज्ञान के माध्यम से वेद व्यास ने समस्त संसार पर ज्ञान का प्रकाश बिखेरा। इनके जन्म के उपलक्ष में ही इस दिन से गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस वजह से इसे व्यास पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।
*यह रहेंगे शुभ योग और मुहूर्त*
गुरु पूर्णिमा सोमवार 3 जुलाई को प्रातः 10:15 से 11:15 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इसके बाद दोपहर 12:15 से1:30 तक अभिजीत मुहूर्त है। दोपहर के बाद शाम 4 बजे से 6 बजे तक लाभ-अमृत का मुहूर्त है। साथ ही इस दिन वाशी, सुनफा, बुधादित्य और ब्रह्म योग जैसे शुभ योगों संयोग रहेगा. वहीं मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों के लिए भद्र योग और वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए शश योग बन रहा है। इन शुभ योग और मुहूर्त में गुरुदेव की पूजा करें।

 

*गुरु पूर्णिमा पूजा विधि*

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर शिवजी और भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके बाद देवगुरु बृहस्पति, महर्षि वेदव्यास की पूजा करें फिर अपने गुरु का पूजन करें। उन्हें नए वस्त्र, गुरु दक्षिणा, मिष्ठान, श्रीफल इत्यादि भेंट करें और उनसे सुखद भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। यदि आपके गुरुदेव ब्रह्मलीन है तो उनकी समाधि स्थल पर जाकर नमन करें, पुष्प माला अर्पित कर उनकी पूजा-अर्चना करें और आशीर्वाद प्राप्ति की कामना करें। इस दिन माता-पिता की भी पूजा अवश्य करें क्योंकि इस जीवन के प्रथम गुरु माता पिता ही होते हैं। इसलिए उनका पूजन का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करें।

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