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मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का 44 वा एक रोज़ा उर्स हुआ सपन्न , बुद्धिजीवियों  ने देश हित में दी तमाम हिदायतें ,

अमृत महोत्सव के मौके पर मुसलमान अपने घरों में शान से तिरंगा लहराए: नासिर कुरैशी,
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बरेली : आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के छोटे साहिबजादे मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का 44 वा एक रोज़ा उर्स आज दरगाह परिसर में दरगाह परिसर में दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत में सम्पन्न हुआ। उर्स का आगाज़ बाद नमाज़-ए-फ़ज़्र कुरानख्वानी से हुआ। दिन में नात-ओ-मनकबत और गुलपोशी व चादरपोशी का सिलसिला चलता रहा। देर रात एक बजकर चालीस मिनट पर कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। फातिहा व शज़रा के बाद सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने सुन्नी सूफी ख़ानक़ाही इत्तेहाद पर जोर देते हुए मुल्क में अमन-ओ-सुकून के लिए खुसूसी दुआ की। उर्स की निज़ामत (निज़ामत) कारी यूसुफ रज़ा ने की। उर्स में शिरकत के लिए देश भर से उलेमा,शोहरा,मुरीदीन बड़ी तादात में पहुँचे। बाद नमाज़-ए-मग़रिब नातख़्वा हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम नूरी ने हम्द,नात व मनकबत का नज़राना पेश किया।

मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि मुख्य कार्यक्रम का आगाज़ बाद नमाज़-ए-ईशा कारी स्वाले रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने उर्से नूरी के मौके पर कौम के नाम दरगाह  की ओर से पैगाम जारी करते हुए कहा कि मुफ्ती-ए-आज़म ने अपनी 92 साला उम्र में मज़हब-ओ-मिल्लत की खिदमत के लिए जो कारनामा अंजाम दिया उसे पूरी दुनिया याद रखेगी। आपने ने 1947 में मुल्क का जो बंटवारा हुआ उसको नापसन्द किया। मुफ्ती-ए-आज़म ने बटवारें के बाद होने वाले फ़साद और इससे पैदा होने वाली मायूसी को खत्म करने व हिन्दुतान में बचे रह गए मुसलमानों के भरोसे को बहाल करने तथा उन्हें मज़हबी,इल्मी व माशी तौर पर मजबूत करने में अहम किरदार अदा किया। आपने हिन्दुस्तान के लगभग हर क्षेत्र के दौरो के साथ-साथ सऊदी अरब,नेपाल,बांग्लादेश,पाकिस्तान आदि देश की अनेकों खानकाहो में तशरीफ ले गए और सारे सुन्नियों को आपने एक प्लेटफार्म पर एकजुट करने का काम किया। उस समय के सभी सुन्नी उलेमा व मशाईख,सूफ़ी,खानकाहे और धार्मिक संस्थाएं एक राय होकर अपने मज़हबी,इल्मी व माशी मरकज़ अपने रूहानी पेशवा मुफ्ती-ए-आज़म मानती थीं। आगे कहा कि आज़ादी के 75 वे अमृत महोत्सव के मौके पर मुसलमान अपने घरों में शान से तिरंगा लहराए। तिरंगा हमारे वतन की पहचान और हमारी जान है।

मुफ़्ती आकिल रज़वी व मुफ़्ती अय्यूब ने अपनी तकरीर में कहा कि आपने अपने मज़हबी दौरों,वक्तव्यों व मज़हबी पैगाम से समाज सुधार,आपसी सौहार्द,इंसानियत व अमन व शान्ति को बढ़ावा दिया,पूरी दुनिया में मसलके आला हज़रत की शाम को रौशन किया। लाखों फतवे लिखे लेकिन किसी मे रुज़ू की ज़रूरत पेश नही आई। कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी व मौलाना डॉक्टर एज़ाज़ अंजुम ने कहा कि मसलक व मजहब के साथ अपने देश और अपने शहर बरेली का नाम भी रोशन किया। अपने नक्श व तावीजो के द्वारा बिना भेदभाव के हर दुखी व परेशान इन्सान की मदद की। इसलिए सूफीवाद अपनी शांतिपूर्ण शिक्षाओं के लिए जाना जाता है।

मौलाना मुख्तार बहेडवी ने अपने खिताब में कहा कि आज मुस्लिम नौजवान सोशल मीडिया की वजह वेबजह मुकदमों में फंसते जा रहे हैं। इसके इस्तेमाल में खास सावधानी बरतने की ज़रुरत है। किसी विदेशी व अजनबी व्हाट्सऐप,टेलीग्राम,फेसबुक आदि ग्रुप्स में हरगिज ना जुडे। कोई भी आपत्तिजनक और गैर कानूनी पोस्ट शेयर,लाईक और अपलोड ना करें।निज़ामत करते हुए कारी यूसुफ रज़ा व कारी सखावत ने कहा कि आला हज़रत व आपका घराना पूरी दुनिया मे इल्म की बुनियाद पर जाना जाता है। मुलसमान अपने बच्चों को दीन और दुनिया का तालीम (शिक्षा) ज़रूर दिलाए। मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम व मौलाना ज़ाहिद रज़ा ने आज के मौहोल पर अफसोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि आज हमारे देश में नफ़रत हर दिन बढती जा रही है। इसे रोकने के कोशिश हम सब को मिलकर करनी है।  सूफी संतों का पैगाम आम करते हुए प्यार व मोहब्बत,भाई चारे,आपसी सौहार्द और इंसानियत को बढावा देने का काम किया जाए। उलेमा की तक़रीर देर रात तक जारी थी। मुफ़्ती अनवर अली,मुफ्ती जमील,मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम,मौलाना अख़्तर, कारी इकबाल,मौलाना बशीरुल क़ादरी आदि ने भी खिराज़ पेश किया।

उर्स की व्यवस्था टीटीएस के शाहिद नूरी,औरंगजेब नूरी,परवेज़ नूरी,नासिर कुरैशी,अजमल नूरी,हाजी जावेद खान,ताहिर अल्वी,एड0 काशिफ रज़ाशान रज़ा,मंज़ूर खान,आसिफ रज़ा,इशरत नूरी,हाजी अब्बास,आलेनबी,तारिक सईद,अरबाज़ रज़ा,अमन रज़ा,सय्यद एज़ाज़,सय्यद माजिद,मुजाहिद बेग,साजिद नूरी,मुस्तक़ीम नूरी,नईम नूरी,आसिम नूरी,जोहिब रज़ा,जुनैद मिर्ज़ा,साकिब रज़ा,तहसीन रज़ा,नफीस रज़ा,गौहर खान,ज़ीशान कुरैशी,सुहैल रज़ा,साद रज़ा,अब्दुल माजिद रज़ा,जावेद रज़ा खान आदि ने संभाली।

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