धर्म

संयोगों की त्रिवेणी में नागपंचमी, ग्रह दोषों से देगी मुक्ति,

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-आचार्य मुकेश मिश्रा,

बरेली।सावन में चारों ओर बम बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है और भोले बाबा के गले में हर वक्त लिपट कर रहने वाले सांपों का भी विशेष महत्व माना गया है। सांपों को प्रति विशाल आस्था का पर्व नाग पंचमी का त्यौहार 21 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। जो हर वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी में मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी का पर्व कई मंगलकारी संयोगों को संजोए हुए हैं। जिस कारण इस बार पर्व का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। क्योंकि सावन का सातवां सोमवार होगा। वही, ज्योतिष के अनुसार शुभ, शुक्ल और बुधादित्य योग का संयोग भी रहेगा। जिस कारण इस दिन नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष, सर्प श्राप, पितृ दोष, राहु ,केतु दोष से पीड़ित जातकों के लिए यह पर्व विशेष फलदाई रहेगा।

 

 

वही सोमवार का संयोग होने से देवाधिदेव महादेव अपने परिकर सहित भक्तों पर असीम कृपा बरसाएंगे। धर्म शास्त्रों के अनुसार नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक,कुलवीर,कर्कट,शंख, कालिया और पिंगल नामक नागों की पूजा की जाती है। जो लोग इस दिन नाग देवता के साथ भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं उनके जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं और समस्त ग्रहों की अशुभता भी दूर होती है। और इस दिन पूजा अर्चना से जीवन भय मुक्त हो जाता है। साथ ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा की तीव्रता से वृद्धि होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा

 

*नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त*

सुबह 06:21 से 08:53 तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:16 से 01:07 तक।
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:48 से 03:39 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:02 से 07:25 तक।
सायाह्न सन्ध्या- शाम 07:02 से 08:10 तक।
अमृत काल- पूरे दिन।

 

 

*ऐसे करें पूजन*
इस दिन दूध, फूल, दीपक, मिठाई और बलि देकर नागों की पूजा की जाती है। चांदी, लकड़ी या पत्थर से बनी नाग मूर्तियों को दूध से जल से नहलाया जाता है और फिर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और व्रत रखा जाता है। इस दिन मिट्टी खोदना पाप है, क्योंकि इससे सांपों की मृत्यु हो सकती है। कुछ स्थानों पर सांपों को दूध के साथ चीनी और चावल की खीर भी चढ़ाई जाती है। फर्श पर सांपों की रंगोली बनाई जाती है और चांदी के कटोरे में कमल रखकर सांप को अर्पित किया जाता है। बाहरी दीवारों और दरवाजों को साँपों की छवियों से चित्रित किया गया है और दीवारों पर शुभ मंत्र लिखे जाते हैं। जिन महिलाओं के भाई होते हैं वे सांपों की पूजा अवश्य करती हैं ताकि उनके भाइयों को सांपों से कोई नुकसान न हो।

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