पैगाम मुफ़्ती अहसन मियां: बेटियों को दहेज़ की जगह विरासत में हिस्सा दे,
*बचपन से बड़े फ़क़ीह व ज़हीन थे ताजुशशरिया,
बरेली ।ताजुशशरिया मुफ़्ती अख़्तर रज़ा क़ादरी अज़हरी मियां का आज 5 वॉ उर्स-ए-ताजुशशरिया बड़े अदब-ओ-अक़ीदत के साथ दरगाह आला हज़रत पर दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत में हुआ। बाद नमाज़ फ़ज़्र रज़ा मस्जिद में क़ुरानख्वानी हुई। दिन में नात-ओ-मनकबत का नज़राना नातख़्वा आसिम नूरी व हाजी गुलाम सुब्हानी ने पेश किया। ज़ायरीन ने मज़ार शरीफ पर गुलपोशी व चादरपोशी कर मन्नत माँगने का सिलसिला जारी रहा। सुबह से ही लंगर की व्यवस्था ज़ायरीन के लिए की गई।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि शाम 4 बजे महफ़िल का आगाज़ कारी रिज़वान रज़ा ने तिलावत- ए-क़ुरान से किया। इसके बाद देश भर के उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ। सभी ने अपने अपने अंदाज़ में ताजुशशरिया को खिराज़ पेश किया। मुफ़्ती सलीम नूरी ने कहा कि अपने दौर में हक़ की सबसे मज़बूत आवाज़ का नाम ताजुशशरिया है। आप बचपन से ही बड़े फ़क़ीह व ज़हीन थे। सच्चे आशिके रसूल थे जिसकी मिसाल आपकी नातिया शायरी है।
आप इश्के रसूल में डूब कर नातिया शायरी लिखते थे। आपने सारी उम्र नबी-ए-करीम के बताए रास्तों पर चलते हुए मज़हब व मसलक की खिदमात को अंजाम दिया। मसलक-ए-आला हज़रत के प्रचार प्रसार के लिए दुनियाभर के दौरे किए। आप् कई किताबों के मुसन्निफ़ थे। अरब व अजम के बड़े-बड़े अल्लामा ने आपके इल्म का लोहा माना। आपके दर से कोई खाली नही लौटा। मुफ़्ती अय्यूब नूरी ने कहा कि दुनिया मे ताजुशशरिया को जो शोहरत हासिल हुई वो उनके इल्म की बुनियाद पर। आप मुफ़्ती,हाफिज,कारी,शायर के मुहद्दिस,मुसन्निफ के साथ साथ तकरीबन चालीस से अधिक उलूम व फुनून पर महारत हासिल थी। कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने शायराना अंदाज़ में खिराज़ पेश किया। मुफ़्ती आकिल रज़वी ने ताजुशशरिया की मज़हबी व इल्मी ख़िदमात पर रोशनी डाली।
इस मौके पर सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने ज़ायरीन को अपना पैगाम जारी करते हुए कहा कि पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है। हम अपनी बहन बेटियां को पर्दा की ताकीद करे। अपनी निगरानी में उनकी अच्छी तालीम और तर्बियत दे। बेटे और बेटियों का खास ख़्याल रखे। आज के मौहोल के मद्देनजर रखते हुए बच्चे-बच्चियों की उम्र शादी के लायक हो जाये तो अच्छा घराना देखकर उनकी शादी कर दे। ताकि हमारे बच्चें गलत कदम उठाने से बचे। दहेज़ जैसी सामाजिक बुराई का बहिष्कार करें। बेटियों को दहेज़ नही विरासत में हिस्सा दे।* मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ़्ती मोइन,मुफ़्ती जमील,मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी ने भी खिराज़ पेश किया।
निज़ामत(संचालन) कारी इर्शादुल क़ादरी ने की। शाम 7 बजे फ़ातिहा कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,कारी रिज़वान,मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम ने पढ़ी। देश-दुनिया मे खुशहाली के लिए ख़ुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने की।
उर्स की व्यवस्था शाहिद नूरी,नासिर कुरैशी, हाजी जावेद खान,सज्जादानशीन के पीआरओ औररंगज़ेब नूरी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,इमरान रज़ा, आकिल रज़ा,आसिफ रज़ा,मुजाहिद नूरी,सबलू अल्वी,सय्यद माजिद, इरशाद रज़ा,साकिब रज़ा,ख़लील क़ादरी,ताहिर अमरोहवी,गौहर खान,शान रज़ा,रिज़वान रज़ा,मकसूद अहमद,अश्मीर रज़ा,सुहैल रज़ा,रोमन रज़ा,अरबाज़ रज़ा,आरिफ रज़ा काशिफ सुब्हानी,आलेनबी,इशरत नूरी,सय्यद एजाज़ यूनुस गद्दी,रफी रज़ा,समीर रज़ा,साजिद नूरी आदि ने सम्भाली।