आचार्य पंडित मुकेश मिश्रा,
बरेली।गत 15 जनवरी को भुवन भास्कर सूर्य देव के राशि परिवर्तन के बाद अब उनके पुत्र शनिदेव 17 जनवरी को शाम 5:56 पर मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। बता दे, शनि देव ग्रहों में सातवें ग्रह माने जाते हैं। इन्हें प्राकृतिक सत्ता में कर्म के अनुसार फल देने का अधिकार प्राप्त है। इसलिए शनिदेव को न्यायाधीश कहा जाता है। कुंभ राशि में शनि देव 31 दिसंबर 2023 तक करीब 12 माह संचरण करेंगे।
शनि देव के राशि परिवर्तन का देश- दुनिया और समस्त बारह राशियों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। शनि को सबसे मंद गति चलने वाला ग्रह कहा जाता है। शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं। सभी राशि गोचर करने में शनि देव को 30 वर्ष लग जाते हैं।ज्योतिष के अनुसार इस बार शनिदेव के गोचर अवधि में 17 जून को रात्रि 10:57 बजे वक्री होकर मकर राशि में आएंगे। जहां 3 नवंबर तक रहेंगे। 4 नवंबर को मार्गी होकर 31 दिसंबर तक कुंभ राशि में विचरण करेंगे। इस परिवर्तन से कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर शनि की ढैया रहेगी। मकर ,कुंभ और मीन राशि के जातक साढ़ेसाती के प्रभाव में रहेंगे। वही मिथुन राशि के जातक ढैय्या और धनु राशि के जातक साढ़ेसाती से मुक्त होंगे।
*क्या है ढैया और साढ़ेसाती*
कुंडली चक्र में चंद्रमा से चतुर्थ एवं अष्टम भाव में शनि का होना ढैया कहलाता है। एक राशि में शनि की स्थिति ढाई वर्ष की होती है। शनि के वक्री होने से यह बढ़ जाती है। शनि का चंद्रमा से 12वें, पहले , दूसरे भाव में आना साढ़ेसाती है। शनि सौ से 600 दिनों तक शरीर के अंगों पर प्रभाव डालता है।
*ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न*
झूठ बोलने से परहेज करें। असहायतो की सहायता करें।शनिवार के दिन कांसे की एक कटोरी में सरसों का तेल लें और उसमें एक सिक्का डालकर अपनी परछाई उसमें देखें और फिर इसे शनि मंदिर में रख दें या फिर तेल मांगने वाले को दे दें। इसके साथ ही शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जरूर जलाएं। ऐसा करने से शनि दोष, साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम हो जाएगा।
इन राशियों पर रहेगा असर
मेष-व्यवसाय में विस्तार, बौद्धिक विकास, जीवन साथी से तालमेल, यात्रा सुखद
वृषभ-जीवन में अनुकूलता, पदोन्नति, शत्रु पराभूत, आय के नवीन स्रोत।
मिथुन-आरोग्य सुख, अर्थपक्ष में सफलता, स्थान परिवर्तन, व्यक्तित्व विकास और स्वाध्याय में रुचि।
कर्क-निराशा, विश्वासघात की आशंका, नवीन समस्याएं, क्रोध और स्वास्थ्य में शिथिलता।
सिंह-सफलता के योग, मांगलिक आयोजन, प्रेम-सम्बन्धों में प्रगाढ़ता और भौतिक सम्पन्नता।
कन्या-आप के नवीन स्रोत, व्यक्तित्व विकास, स्वास्थ्य में सुधार और पुराने विवाद का खात्मा।
तुला-अनुकूलता, पदोन्नति, आय के नए स्रोत, संतान कष्ट, मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि और सुदूर यात्रा।
वृश्चिक- शुभता में कमी, प्रतिकूल घटनाएं, क्रोध, गलतफहमी और आलस्य की अधिकता।
धनु-कार्यों में सफलता, प्रियजनों से सहयोग, कर्ज से मुक्ति और प्रतियोगिता में सफलता।
मकर-व्यापारिक अड़चनें, स्वास्थ्य में शिथिलता, लेन-देन में जोखिम और स्वजनों से कष्ट।
कुंभ-पुरुषार्थ के प्रति अरुचि, मानसिक कष्ट, उपलब्धि में विलंब एवं विश्वासघात का संकट।
मीन-आर्थिक परेशानी, व्यय अधिक, निर्णय अनिर्णय की स्थिति।