News Vox India
धर्मशहर

BareillyNews:आखिरी सोमवार पर प्रशासन ने किये है सुरक्षा के कड़े इंतजाम , मंदिर से लेकर रास्तों की हो रही है निगरानी 

 

स्मार्ट सिटी के  सीसीटीवी कैमरे से रखी जा रही है नजर 

शांतिपूर्ण तरीके से श्रद्धालु कर रहे बाबा के दर्शन 

बरेली : सावन के आखिरी सोमवार को नाथ मंदिरों में जमकर भीड़ पहुंच रही है।  तड़के सुबह से  ही शिवालयों के दर्शन के लिए  श्रद्धालु लाइन  लगाकर अपनी बारी का इन्तजार कर  रहे है ।  कांवड़िये भी  हरिद्वार , कछला से कांवड़  लेकर जलाभिषेक के लिए लागतार आने का सिलसिला जारी है। वही प्रशासन के  अधिकारियों ने  सुरक्षा के मद्देनजर खुद ही मोर्चा संभाल रखा है। शहर के नाथ मंदिरो पर पुलिस के आलाधिकारियों के पुलिस के जवान नजर बनाये हुए है।  एक अनुमान के मुताबिक शहर में कई लाख लोगों के आने की उम्मीद है।  बरेली को भारत वर्ष में नाथ नगरी के रूप में जाना जाता है यहां के चारों कोनों पर देवो के देव महादेव के प्राचीन  मंदिर है जिनकी अपनी मान्यताएं है।
जिले के एसएसपी से लेकर डीएम खुद मंदिरो में जाकर निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश भी दे रहे है।  हालांकि शहर के सभी मंदिरो में शांति के साथ पूजा अर्चना होने की खबरें है।  एडीएम सिटी आरडी पांडेय के मुताबिक शहर के सभी नाथ मंदिरो में शांतिपूर्ण तरीके से श्रद्धालु पूजा अर्चना कर रहे है।  सभी जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है।  देरशाम तक यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालओं द्वारा दर्शन करने की उम्मीद है।
 शहर के चारों कोने में है नाथ मंदिर 

शहर की चारों दिशाओं में बाबा भोलेनाथ के मंदिर है । भगवान शिव के यह सात मंदिर पौराणिक महत्व के हैं। हर मंदिर के पीछे एक  कहानी है। सैकड़ों साल पहले से आज तक, इन मंदिरों हर शिवभक्त की आस्था जुड़ी है। सावन माह  कांवड़िये  हरिद्वार और कछला से गंगा जल लाकर इन मंदिरों के शिवालय में चढ़ाते है ।

बनखंडीनाथ मंदिर:  बनखंडी नाथ  मंदिर पुराने शहर में है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि पांचाल राज्य की  महारानी द्रोपदी ने पूर्व दिशा में अपने गुरु के आदेश पर शिवलिंग स्थापित कर कठोर तप किया था। श्रावण मास में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है।

मढ़ीनाथ-   शहर के पश्चिम दिशा में  मढ़ीनाथ का मंदिर है । यहां के बारे में कहा जाता है कि एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए यहां कुआं खोदना शुरू किया था तभी शिवलिंग प्रकट हुआ। ऐसा शिवलिंग जिस पर मढ़ीधारी सर्प लिपटा था। जिसके बाद यहां मंदिर स्थापना हुई , जिसे आज लोग  मढ़ीनाथ मंदिर के नाम से जानते है ।

त्रिबटीनाथ: उत्तर दिशा में यह बना मंदिर प्राचीनकाल में वन में स्थित था । इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि चरवाह तीन वट वृक्षों के नीचे विश्राम कर रहा था। उस वक्त स्वप्न में भोलेनाथ आए और उस स्थान की खुदाई करने को कहा। त्रिवट के नीचे खोदाई की तो शिवलिंग प्रकट हुआ। तीन वटों के नीचे शिवलिंग मिलने से इस मंदिर का नाम त्रिवटी नाथ पड़ गया।

तपेश्पर नाथ: शहर के दक्षिण दिशा में स्थित यह मंदिर ऋषियों की तपोस्थली रहा। उन्होंने कठोर तप कर इस देवालय को सिद्ध किया इसलिए नाम तपेश्वरनाथ मंदिर पड़ा।

धोपेश्वर नाथ: पूर्व दक्षिण अग्निकोण में स्थापित  धोपेश्वर मंदिर को महाराजा दु्रपद के गुरु एवं अत्री ऋषि को शिष्य धू्रम ऋषि ने कठोर तप से सिद्ध किया। उन्हीं के नाम पर देवालय का नाम धूमेश्वर नाथ पड़ा जोकि बाद में धोपेश्वर नाथ के नाम से जाना जाने लगा।इस मंदिर के प्रति लोगों  में विशेष आस्था देखने को मिलती है।

अलखनाथ: आनंद अखाड़ा के अलखिया बाबा ने किला थाना क्षेत्र की नदी के पास  कठोर तप किया था । शिवभक्तों के लिए यहां अलख जगाई। उन्हीं के नाम से जोड़कर इस मंदिर का नाम अलखनाथ पड़ा।यहां के बारे में भी कहा जाता है

Related posts

भाजपा नेता पर धोखाधड़ी का आरोप , पीड़ित पहुंचा एडीजी दफ्तर ,

newsvoxindia

बाबा साहब के विचारों से सीख ले: समीरउद्दीन खान 

newsvoxindia

उपसंपादक के बेटे की साइकिल हुई चोरी , मुकदमा दर्ज

newsvoxindia

Leave a Comment