बरेली।प्रकृति का सबसे सौंदर्यशाली महीना सावन का माना जाता है।जिसमें भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। विशेष तौर पर सावन के चारों सोमवार भगवान शिव को समर्पित है। वहीं इस महीने में पड़ने वाले मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। बता दे, मंगला गौरी आदिशक्ति माता पार्वती का ही मंगल स्वरूप है। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से मंगला गौरी का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। इसलिए विवाहित महिलाएं सावन के इस व्रत को विधि विधान के साथ रखते हैं और मां मंगला गौरी की पूजा -अर्चना करते हैं।
इस वार सावन का पहला मंगला गौरी का व्रत 19 जुलाई ,दूसरा 26 जुलाई, तीसरा 2 अगस्त, 09 अगस्त को पड़ेगा। धार्मिक मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत में विधि पूर्वक मां गौरी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए यदि किसी के दांपत्य जीवन में समस्याएं बनी हुई है। तो उन्हें मंगला गौरी का व्रत करना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन का कलह, कष्ट व अन्य सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। जिन कुंवारी कन्याओं की शादी नहीं हो रही है अगर मंगला गौरी का व्रत रखती हैं। तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। वही शादीशुदा महिलाओं को अखंड सौभाग्य का मंगला गौरी आशीर्वाद सहजता से प्राप्त होता है। इसलिए मंगला गौरी के व्रत का सावन में विशेष महत्व माना जाता है।
ऐसे करें व्रत पूजन
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके महिलाएं व्रत का संकल्प करती है इसके बाद एक साफ स्थान पर लाल वस्त्र बिछाकर चौकी को सजाएं इसके बाद माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें कुमकुम, गंध, चावल, लाल पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य आदि चीजें देवी मां को अर्पित करें साथ ही माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। फिर देवी मां की आरती करें पूरे दिन उपवास रखकर निराहार रहे। वही शाम के वक्त व्रत का पारण करें इस दिन विधि विधान से व्रत करने पर देवी मां पार्वती प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती है।