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धर्मशहर

ग्रह संयोगों के अद्भुत संगम में गुरु पूर्णिमा रहेगी अत्यंत कल्याणकारी,

 

 

ज्योतिषाचार्य. पंडित मुकेश मिश्रा,

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बरेली।सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व 13 जुलाई बुधवार को बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ देश भर में मनाया जाएगा। इस पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान व दान विशेष फलदाई माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इनके जन्म के उपलक्ष्य में ही सदियों से इस दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस वजह से इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धर्म संस्कृति के अनुसार माता- पिता, शिक्षक का भी गुरु के रूप में ही पूजन किया जाता है। क्योंकि जीवन जीने की शिक्षा और कला इन्हीं से ही प्राप्त होती है। इस बार की पूर्णिमा बेहद खास संयोग लेकर आई है।

 

 

बता दें, कि इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन सू्र्य-बुध की युति से बुधादित्य योग, मंगल के मेष राशि में विरामान होने के कारण रुचक योग, गुरु के मीन राशि में होने से केंद्र में हंस योग, शनिदेव के मकर राशि में होने के कारण शश योग, बुध के मिथुन में गोचर करने के कारण भद्र योग का निर्माण हो रहा है। कुल मिलाकर इन संयोगों का एक साथ मिलना अद्भुत संयोग है। इसलिए इस पूर्णिमा का महत्व हजारों गुना ज्यादा बढ़ जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि इस तिथि पर पूरे दिन भद्रा का दोष नहीं रहेगा। गुरू पूर्णिमा के दिन भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा।

 

 

शास्त्रों के अनुसार अगर किसी महत्वपूर्ण तिथि पर भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर रहता है तो उसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस समय गुरु पूजा न करें। गुरु पूर्णिमा पर सूर्य के उदय के बाद गुरू पूजन करें। 13 जुलाई को सूर्य के उदय होने से पहले करीब 4 बजे पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी जो मध्य रात्रि के बाद तक रहेगी। गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धनु और सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे। इसलिए इस बार पूर्णिमा पर गुरु पूजन दान पुण्य जप तप आदि का फल सैकड़ों गुना ज्यादा मिलेगा।

गुरु पूर्णिमा तिथि पर चौघड़िया मुहूर्त

लाभ और अमृत – सुबह 5.41 से सुबह 9.10 बजे तक
शुभ – सुबह 10.50 से दोपहर 12.30 बजे तक
चंचल और लाभ – सुबह 3.58 बजे से शाम 7.23 तक

 

गुरु पूर्णिमा पूजन के लाभ
शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा के दिन पूजन का विशेष महत्व होता है। इस शुभ तिथि पर गुरु पूजन से अनेक तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
– जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह से संबंधित कोई दोष हो तो गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन करने से यह दोष खत्म हो जाते हैं।
– गुरु पूजन से कुंडली में मौजूद पितृदोष भी खत्म हो जाता है।
– गुरु पूजन से भाग्योदय होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास रहता है।
– गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन करने से नौकरी,व्यापार और करियर में फायदा होता है।

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