ज्योतिष: इस रत्न के शुभ प्रभाव से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की संभावना बढ़ जाती है। जानिए किसे और कैसे पहनना है। रत्न ज्योतिष के अनुसार पुखराज का बहुत महत्व माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से सबसे शुभ ग्रह बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि ये रत्न जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं। खास बात यह है कि अगर यह रत्न उपयुक्त रहता है तो इसका असर 30 दिनों में दिखने लगेगा। इस रत्न के शुभ प्रभाव से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की संभावना बढ़ जाती है। जानिए पुखराज रत्न किसे और कैसे धारण करना चाहिए।
पुखराज के लाभ
रत्न धारण करने से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है। जीवन में खुशियां आती हैं। धन में वृद्धि होती है। सम्मान कमाया जाता है। नए अवसर प्राप्त होते हैं। लक्ष्य प्राप्ति की शक्ति प्राप्त होती है। ये रत्न एकाग्रता बढ़ाते हैं। दाम्पत्य जीवन से सुख मिलता है। यह रत्न शांति देता है। इसे पहनने से निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है।
इन रत्नों को धारण करने से पहले किसी रत्न ज्योतिषी से सलाह लें क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के ग्रह और नक्षत्र अलग-अलग होते हैं। जरूरी नहीं कि हर रत्न सभी पर सूट करे। हालांकि पुखराज रत्न की बात करें तो यह रत्न धनु और मीन राशि के लोगों के लिए सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह बृहस्पति का रत्न है और बृहस्पति इन दोनों राशियों का स्वामी ग्रह है। इसके अलावा मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि के लोग भी इसे पहन सकते हैं।
किसे धारण नहीं करना चाहिए
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के लोगों को इन रत्नों को धारण करने से बचना चाहिए। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में इस राशि के लोग पुखराज भी पहन सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। लोगों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर है। उन्हें पुखराज पहनने से भी बचना चाहिए। कहा जाता है कि पुखराज को कभी भी नीलम, नीलम, हीरे, गोमेद और सुंदर रत्नों के साथ नहीं पहनना चाहिए।
पुखराज धारण प्रक्रिया
पुखराज का वजन 3.25 कैरेट से कम नहीं होना चाहिए। इसे पहनने के लिए गुरुवार का दिन अच्छा माना जाता है। इस रत्न को आप सोने या चांदी में मिलाकर धारण कर सकते हैं। रत्न की अंगूठी पहनने से पहले इसे गंगाजल या दूध में डालकर शुद्ध कर लें। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से रत्न से सभी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं। इसके बाद पीले कपड़े में अंगूठी रखें और इस कपड़े पर पहले रोल से बृहस्पति यंत्र बनाएं। फिर गुरुवार की सुबह सूर्योदय के बाद इसे अपने दाहिने हाथ की तर्जनी में पहन ले।