बरेली | डॉक्टर अब्दुल जलीली फरीदी का नाम यूपी की राजनीति में कोई नया नाम नहीं है लेकिन गुजरते दौर में लोग उन्हें जरूर भूल गए है | एक समय था डॉक्टर फरीदी की पार्टी ने सबसे पहले मुस्लिम और दलितों के हितों की आवाज उठाई दी थी | मसलिस ने उत्तर भारत में ओबीसी -एससी जातियों के बीच जाकर ज्योतिबाफुले का साहित्य भी बांटा था | इस पार्टी ने केंद्र में एक मंत्री के साथ यूपी को 19 विधायक दिए | हालाँकि आज भी यह पार्टी अपने सिद्धांत पर काम कर रही है | इस पार्टी से अधिकतर अधिवक्ता आज भी अधिवक्ता जुड़े है | यह पार्टी वर्ष 1990 तक यूपी में एक्टिव थी | बाद में यह पार्टी एक विधायक नहीं दे सकी | बताया यह भी जाता है कि आजम खान ने भी इस पार्टी के बैनर के तले चुनाव लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा था | बरेली की बिथरी सीट से चुनाव लड़ रहे एआईएमएम के वसी अहमद ने बताया कि कांग्रेस ने 1974 में मुस्लिम मजलिस को खत्म करने के लिए मुस्लिम लीग को आगे बढ़ाया इसके बाद मजलिस ख़त्म हो गई | बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशी राम ने भी फरीदी के साथ में राजनीति की थी |
बरेली से वसी अहमद ने कराया नामांकन
बरेली की बिथरी सीट से एआईएमएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष वसी अहमद चुनाव लड़ रहे है | उनका कहना है कि उनकी प्राथमिकताओं में शिक्षा और स्वास्थ्य है वह अपनी विधानसभा में कई अच्छे अस्पताल और इंटर कॉलेज , डिग्री कॉलेज खोलना चाहते है |
एआईएमएम का चुनावी सफर
एआईएमएम की स्थापना 3 जून 1968 को डॉक्टर अब्दुल जलीली फरीदी ने बनाई थी | तबसे इस पार्टी लगातार 54 साल से भारतीय राजनीति में अपने अस्तित्व के लड़ाई लड़ रही है |
एआईएमएम के 1969 में 3 विधायक, 1971 में 7 विधायक ,1977 में 9 विधायक बने , 1977 में 2 एमपी बने , इसके बाद 1980 में इस पार्टी का एक उम्मीदवार 1 विधायक भी बना , इसके बाद आजतक यह पार्टी अपने पुराने मुकाम तक नहीं पहुंच पाई |
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