बदायूं जिले में न्यायपालिका ने पुलिसिया कार्यशैली पर बड़ा संज्ञान लेते हुए एसओजी सहित 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
यह कार्रवाई बिनावर थाना क्षेत्र के गांव रहमा निवासी अधिवक्ता मोहम्मद तसलीम गाजी की अर्जी पर की गई, जिसमें पुलिसकर्मियों पर निर्दोष लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने का गंभीर आरोप लगाया गया था।
अधिवक्ता ने कोर्ट में दाखिल अपने प्रार्थना पत्र में बताया कि एसओजी और स्थानीय पुलिस ने गांव कुतुबपुर थरा के रहने वाले मुख्त्यार पुत्र निजामउद्दीन, विलाल, अजीत, अशरफ और तरनवीर को अवैध रूप से हिरासत में लिया और उन्हें बिनावर थाने में बंधक बनाकर रखा गया।
उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने झूठा एनडीपीएस एक्ट का केस दर्ज करते हुए डोडा बरामदगी की मनगढ़ंत कहानी बनाई और प्रेस नोट जारी कर आरोपियों की तस्वीरें भी सार्वजनिक कीं।
अधिवक्ता के अनुसार, मुख्त्यार को 28 जुलाई की रात करीब 12:30 बजे बिना किसी ठोस वजह के दो उपनिरीक्षक और तीन सिपाहियों ने उठाया था, जबकि बाकी आरोपियों को भी 30 जुलाई से पहले ही हिरासत में ले लिया गया था।
इसके बावजूद पुलिस ने 31 जुलाई को एनडीपीएस एक्ट में मुकदमा दर्ज कर सब कुछ वैध दिखाने की कोशिश की। इस कार्रवाई के चलते निर्दोष व्यक्तियों को एक महीने तक जेल में रहना पड़ा।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसओजी और थाने के संबंधित पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज कर सीओ स्तर से निष्पक्ष जांच कराने के आदेश दिए हैं।
इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज होगा मुकदमा:
बिनावर के तत्कालीन थानाध्यक्ष कांत कुमार शर्मा, उपनिरीक्षक गुड्डू सिंह, शेरपाल सिंह, सुम्मेर सिंह, रामनाथ कन्नौजिया, सिपाही योगेश कुमार, सुमित कुमार, विकास कुमार, शैलेंद्र गंगवार, मोहित कुमार, मनोज, चरन सिंह।
एसओजी के नीरज मलिक, उपनिरीक्षक धर्वेंद्र सिंह, सिपाही संजय सिंह, सचिन झा, विपिन कुमार, सचिन कुमार, मुकेश कुमार, सराफत हुसैन, आजाद कुमार, भूपेंद्र कुमार, कुशकांत, अरविंद कसाना और मनीश कुमार के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
