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कुंडली में क्या है? नौकरी या व्यापार का भाव,जाने इस खबर में ,

ज्योतिषाचार्य
विपिन चंद्र शर्मा,

बहुत से लोगों के मन में दुविधा होती है कि उन्हें नौकरी करनी चाहिए या व्यापार। नौकरी में प्राइवेट नौकरी करनी चाहिए या सरकारी? व्यापार फलीभूत होगा तो कौन सा? इन्हीं प्रश्नों के समाधान के लिए यहां प्रस्तुत है कुछ सामान्य जानकारी।

कुंडली में क्या है? नौकरी या व्यापार का भाव

कहते हैं कि दशम भाव से पता चलता है कि व्यक्ति क्या करेगा, ग्यारहवें भाव से पता चलता है कि व्यक्ति क्या कमाएगा और दूसरे भाव से पता चलता है कि व्यक्ति कितना बचा पाएगा। कुंडली में दशम भाव से देखा जाता है कि व्यक्ति क्या करेगा।

 

दशम भाव : दशम भाव के स्वामी को दशमेश या कर्मेश या कार्येश कहते हैं। इस भाव से यह देखा जाता है कि व्यक्ति सरकारी नौकरी करेगा अथवा प्राइवेट। व्यापार करेगा तो कौन सा और उसे किस क्षेत्र में अधिक सफलता मिलेगी।

 

सप्तम भाव साझेदारी का होता है। इसमें मित्र ग्रह हों तो पार्टनरशिप से लाभ होता है। शत्रु ग्रह हो तो पार्टनरशिप से नुकसान होता है।

सूर्य, बुध, गुरु और शनि दशम भाव के कारक ग्रह हैं। दशम भाव में केवल शुभ ग्रह हों तो अमल कीर्ति नामक योग होता है, किंतु उसके अशुभ भावेश न होने तथा अपनी नीच राशि में न होने की स्थिति में ही इस योग का फल मिलेगा।

दशमेश के बली होने से जीविका की वृद्धि और निर्बल होने पर हानि होती है। लग्न से द्वितीय और एकादश भाव में बली एवं शुभ ग्रह हो तो जातक व्यापार से अधिक धन कमाता है। धनेश और लाभेश का परस्पर संबंध धनयोग का निर्माण करता है।

दशम भाव का कारक यदि उसी भाव में स्थित हो अथवा दशम भाव को देख रहा हो तो जातक को आजीविका का कोई न कोई साधन अवश्य मिल जाता है।

दशम भावस्थ नवग्रह फल
सूर्यः- दसवें भाव में स्थित वृश्चिक राशि का सूर्य चिकित्सा अधिकारी बनाता है। मेष, कर्क, सिंह या धनु राशि का सूर्य सेना, पुलिस या आबकारी अधिकारी बनाता है।

चंद्रः- शुभ प्रभाव में बली चंद्र यदि दशमस्थ हो तो धनी कुल की स्त्रियों से लाभ होता है। यदि ऐसा व्यक्ति दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं का व्यापार करे तो लाभप्रद होता है। चंद्र से मंगल या शनि की युति विफलता का सूचक है।

मंगलः- मेष, सिंह, वृश्चिक या धनु राशि का मंगल जातक को प्राइवेट चिकित्सक और सर्जन बनाता है। ऐसे डाक्टरों को मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है। मंगल का सूर्य से संबंध हो तो व्यक्ति सुनार या लोहार का काम करता है।

बुधः- लग्नेश, द्वितीयेश, पंचमेश, नवमेश या दशमेश होकर कन्या या सिंह राशि का बुध गुरु से दृष्ट या युत हो तो व्यक्ति प्रोफेसर या लेक्चरर बनकर धन अर्जित करता है। बुध बैंकर भी बनाता है। बुध शुक्र के साथ या शुक्र की राशि में हो तो जातक फिल्म या विज्ञापन से संबंधित व्यवसाय करता है।

गुरुः- गुरु का संबंध जब नवमेश से हो तो व्यक्ति धार्मिक कार्यों द्वारा धन अर्जित करता है। गुरु मंगल के प्रभाव में हो तो जातक फौजदारी वकील बनता है। बलवान और राजयोगकारक हो तो जातक को न्यायाधीश बना देता है।

शुक्रः- जातक सौंदर्य प्रसाधन सामग्री, फैंसी वस्तुओं आदि का निर्माता/विक्रेता होता है। शुक्र का संबंध द्वितीयेश, पंचमेश या बुध से हो तो गायन-वादन के क्षेत्र में सफलता मिलती है।

शनिः- शनि का संबंध यदि चतुर्थ भाव या चतुर्थेश से हो तो जातक लोहे, कोयले मिट्टी के तेल आदि के व्यापार से धन कमाता है। बलवान शनि का मंगल से संबंध हो तो जातक इलेक्ट्रिक/इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर होता है।

यदि बुध से संबंध हो तो जातक मेकैनिकल इंजीनियर होता है। शनि का राहु से संबंध हो तो व्यक्ति चप्पल, जूते, रेक्सिन बैग, टायर-ट्यूब आदि के व्यापार में सफल होता है।

राहुः- दशम भाव में मिथुन राशि का राहु राजनीति के क्षेत्र में सफलता दिलाता है। ऐसा जातक सेना, पुलिस, रेलवे में या राजनेता के घर नौकरी करता है।

केतुः- धनु या मीन राशि का दशमस्थ केतु व्यापार में सफलता, वैभव, धन और यश का सूचक है।

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